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________________ दिगंबर जैन | COPO J ( १ ) बही दिन है कि जिस दिन मिथ्यात्वी बलिने जो उपसर्ग अकंपनाचार्यादि ७०१ मुनियोंको किया था उसका निवारण विक्रियारुद्विधारी - श्री विष्णु कुमारजी महामुनि द्वारा हुआ था तब मुनि रक्षा के स्मरणमें लोगोंने अपने हाथपर सुतकाडोरा बांधा था व मुनियोंको आहार दान दिया था । इस पर्व की कथा ( गुजराती भाषा में ) व पूजा हम दस वर्ष हुए हमारे पाठकों को भेंटमें दे चुके हैं उसको निकालकर इस दिन अवश्य पढ़ना चाहिये तथा जिनकी पास न होवे रक्षाबंधन कथा पूजन सहित जो हिंदी भाषा में छपकर अभी प्रकट हुई है प्रथमसे अवश्य मंगा लेवे और रक्षाबंधन के दिनको सब भाई ब बहिनों के समक्ष इस कथाको पढ़कर फिर सलूना पूजन व विष्णुकुमार महामुनि पूजन करें । o रक्षाबंधन के पवित्र दिन जो भाई रक्षाबंधते हैं वे अपवित्र रेशमके डोरेकी न बांधकर हाथके कते शुद्ध सुतके डोरेकी ही रक्षा बांधें तथा यथाशक्ति दान जैसे कि बम्बई श्राविकाश्रम, कुन्थल गिरे आश्रम आदिको भ वश्य २ भेजें । वहां दान देने से एक नहीं परन्तु चारों प्रकारके दानका फल मिलता है । * * हमारी अनेक जातियोंमें दस्ता दीसाके भेद हैं जिनमें दस्सा भाइयों की भाइयोंको ओरसे भी मंदिर अन्याय । बने मौजूद हें व अनेक प्रतिष्ठायें भी दस्ता भाइयों द्वारा होचुकी हैं तब भी सोनीपत आदिके वीमा भाई दस्सा भाइयोंको मंदि में पूजन नहीं करने देते, न प्रतिमाको स्पर्श करने देते! जिसका झगड़ा वर्षोंसे चलरहा है जिससे ब्रह्मचारीजी शीतलप्रसादजी कृत नियम पोथी एक आने में मंगा लेनी चाहिये । विना नियम लिये परिग्रह कम नहीं हो सकता इसलिये नियम पोथीमें अपने नियम ठीक करके लिख रखने चाहिये । * * * इस वर्ष ललितपुरकी गजरथ प्रतिष्ठा के समय मोरेना विद्यालय विषयक लेख पं० पन्नालालजीद्वारा प्रकट होनेपर बुंदेलखंड भाइयोंको गहरी चोट लगी थी जिसका नतीजा यह हुआ कि वहांकी परवार महासभाने पांच लाख रु०इकत्र करके जबलपुर में जैन शिक्षा मंदिर खोलनेका प्रस्ताव किया था वह मिती ज्येष्ठ सुदी ५ को अमल में आ गया अर्थात् सेठ डालचन्द नारायणदासकी बोर्डिग में शिक्षा मंदिरका मुहूर्त होगया व इसका कार्य जोर शोर से चल रहा है । अभी इसके पांच लाख रु० के फंडके लिये वर्णीनी पं० गणेशप्रसादजी, वर्णाजी पं० दीपचन्दजी आदिका डेप्यूटेशन बुंदेलखण्ड प्रान्त में घूम रहा है । इसलिये जहां २ यह डेप्युटेशन पहुंचे वहां के श्रीमानोंका कर्तव्य है कि इस शिक्षा मंदिर के लिये अच्छी रकम प्रदान करें । जबलपुर शिक्षा मंदिर | * * सरे हिंदुस्थान में श्रावण सुदी १५को रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता रक्षाबंधन पर्व | बहिन अपने भाई को रक्षाका डोरा बांघती है तब भाई भी कुछ भेंट बहि देता है परंतु यह पर्व सभी जाति व धर्म बाले अलग२रूपसे मानते हैं परंतु वास्तव में देखा जावे तो इस पर्व की उत्पत्ति जैनियोंसे ही है । यह *
SR No.543187
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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