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________________ » सचित्र खास अंक. १ [वर्ष ८ खैर कुछ काम होगा। अब तो किसनचं- किसनचंदने भी चन्द्रकलाके वास्ते लड़केके दके वास्ते कोई लड़का तलाश करना लिये मुझसे कहा था । सो अब मेरा मतलब चाहिए और अगर कोई उसके मनलायक ठीक निकलता है) "सेठ साहब ! लड़की मिल गया तो फिर अपना तो क्या पूरे तो तलाशमें है और वह खूबसूरतभी पौबारह पच्चीस होंगे। अब अपने दिन अच्छी है। पर उसका बाप रुपये ज्यादा : कुछ सुलझते दिखाते हैं । आज छः मही- मांगता है।" नेसे खाली बैठे हुए थे । चलो, अब थोड़े रतनचंदः- "मैं आपसे कह तो चुका कि ही दिनोंमें अपनी खूब गहरी छनैगी। रुपये चाहे जितने खर्च पड़ जाय पर लड़की __ अच्छी होनी चाहिए और जहां तक शेठ रतनचंद अपने कमरे में बैठे हुए र जल्दी हो जाय सो अच्छा "। कुछ सोच रहे थे कि उनकी नजर एकाकी लोढामल:-"अच्छा ! कि सनचंदजीकी लोढामलपर पड़ी । देखते ही बोल उठे - लड़की है और वह पांच हजार मांगते "आईये लोढामलजी, अबके तो आपने हैं। कहिये ! आप चाहते हैं या नहीं ?" बहूत दिनों में दर्शन दिये कहिये, तबियत रतनचंदः-"बहुत ठीक ! क्या कहना . तो अच्छी तरह है।" ____ लोढामल:-"सेठ साहबकी कपासे सब पकी कर आओ"। अच्छी तरह है। कहिये अबके आपने . लोढामल ऐसा सुनकर वहांसे विदा हुआ दासको कैसे याद किया । कोई नई खबर ___ और सीधा किसनचंद के घरपर पहुंच और तो नहीं है ?" आवाज दी, किसनचंदजी है क्या ? ___रतनचंदः- "कोई नई खबर तो नहीं किसनचंद:-"कौन है लोढामलजी ! है। पर आपको एक कामके लिये बुलाया। आओ।" है ।और वह यह है कि मेरा इरादा दूसरा _ लोढ़ामल:-"हां मैं हूं, और आपको विवाह करनेका है। क्योंकि घरमें कोई एक खुशखबरी लाया हूं।" औरत नहीं है और बिना स्त्रियों के घर किसनचंद :-कहिये क्या खबर है ? " अच्छा भी नहीं लगता, इससे आपको लोढ़ामल :-"कहिये आप सेठ रतनतकलीफ दीनी है कि कोई लड़की आपकी चंदजीके साथ चन्द्रकलाको ब्याहना चाहते तलाशमें हो तो हमारी सगाई पक्की कर दो। है या नहीं? आपका मनोरथ सब पूरा रुपये चाहे जितने खर्च पड़ जाय ।" हो जायगा।" - लोढ़ामल:-(थोड़ी देर चुप होकर किसनचंदः-"क्या सेठ रतनचंदजी स्वयं विचारने लगा, मौका तो अच्छा मिला है। अपना व्याह करना चाहते हैं ? ( कुछ
SR No.543085
Book TitleDigambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1915
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size19 MB
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