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________________ ३५ अंक १] > दिगंबर जैन. ६. (३१) मी. मणीलाल एच. उदाणी एम. प्रहस्थनो एक इंग्लिश आर्टिकळ गत वर्षे ए. इत्यादि, मुंबाई:-जेतपुर (काठी आवाड) अपायो हतो अने आ अंकमां पण छे, जे निवासी उंची केळवणी पामेला अने जैनोना वाचवाथी एमना विचारो केटला उंचा त्रणे फिरकामा संपने चाहनार आ श्वे. प्रकारना छे ते वांचकोने जणाई आवशेज. स्थानकवासी जैन ग्रहस्थ नानी वयमांज (३२) राय बहादुर श्रीमान् शेठ चम्पाM. A. LL. B.; F. LL. C. नी डी- लालजी, ऑ. मजीस्त्रेट, ब्यावरः-अग्रवाल ग्रीओ प्राप्त करी छे अने जैनोना त्रणे वंशज आपका जन्म खुरजा ग्राममें सं. फिरकामा सामान्य बाबतोमा संप कराववाने १९०६में हुवा। आपकी माताजीको रानीजीके एओ पुष्कळ मथन करी रहेला छे. एओ नामसे पुकारते थे इसलिये आप रानीवालोंलेटन्ट लाइट कल्चर ( Latent Light के नामसे मशहूर हैं ! जबसे आपका नि. Culture)नी मुंबाईनी शाखाना सेक्रेटरी छे वास ब्यावरमें सं.१९३२से हुआ है, आपने तेमज भारतजैनमहामंडळना मुंबाई इला- अच्छा पैसा और नाम पैदा किया है और काना सेक्रेटरीनुं काम योग्य रीते बजावे आपका जैन धर्म पर द्रढ श्रद्धान छे. वळी एओ जैनविद्याउद्योगवर्धक- है। सं. १९४८ में आपने एक मान्दिर मंडळना सेक्रेटरी होवा उपरांत बोम्बे प्रेसी- बनवाया, जिसकी बिंबप्रतिष्ठा बहुत उत्सडन्सी एसोसीएशन, सोशीअल सर्वीस लीग वके साथ की गइ थी और १ लाख (मुंबाई), ऑर्डर ओफ धी गोल्डन एइज मनुष्य एकत्रित हुए थे। इस प्रान्तमें ऐसा (लंडन), टेम्परंस एसोसीएशन (मुंबाई), गु- उत्सव अभीतक नहीं हुआ है। सं. १९४५ र्जर सभा (मुंबाई), ओर्डर ओफ धी स्टार इन में आपको गवर्नमेन्टकी तरफसे आनररी इस्ट (लंडन) वगेरेना मेम्बर छे,तेम गया मार्च मजीनेटका पद प्राप्त हुआ और इस समय मासमा एमने अमेरिकानी ओरियन्टल युनी- आप दुसरे दर्जेके मजीस्ट्रेट है। इस्वीसन् वाटी तरफथी एम. ए. (M. A.) नी १८९७ में आपको सरकारकी तरफसे डीग्री मळी छे अने हिंदमां ओरियन्टल राय बहादूरका खिताब मिला और सन् युनीवर्सीटीना ऑ. कार्यकर्त्ता नीमाया छे. १९०२ में सरकारने आपको एक मान्य वळी जैन उपरांत अनेक जाहेरसभाओमां पुरुष समझकर अपने खजानश्ची नियत एओ भाग लई उत्तम भाषणो आपे छे. किये । इस समय आप अजमैर, ब्यावर, एमनी एज ईच्छा छे के कजीया-कंकाशने नसीराबाद और टाटगढ इन ४ शहरोंके मुकी दई सिधा भ्रातृभावथी जोडाय तो खजानञ्ची हैं और म्युनीसीपल कमीशनरभी समाजनुं - कल्याण थई शके. आ सरकारकी ओरसे हैं। आपके यहाँ रुइ
SR No.543085
Book TitleDigambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1915
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size19 MB
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