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अंक १]
> दिगंबर जैन आठमा वर्षमां भारे उत्साहथी प्रवेश करे छे, नोज जय थाय छे' ते मुज़ब मोडे बहेले ए ओछा आनंदनी वात नथी. गत् वर्षे जे पण न्यायी ब्रीटीश राज्यना पक्षनो जय थवानी सुशोभित अने सचित्र गंजावर खास अंक अनेक आशाओ बांधी शकाय छे. जे शांति. प्रकट कर्यो हतो तेवो अंक फरी प्रकट थवानी सुख अने छुटापणुं आपणे भोगवीए छाए ते कोईने आशा नहोती. पण अमारा वांचको न्यायी ब्रीटिश राज्यनाज प्रताप छे अने एज जाणीने अजब थशे के आ वर्षे पण तेथी वधु राज्य हिंद उपर चिरकाळ सुधी तपतुं रहो एज सुधारा वधारा सहित आ खास अंक प्रकट अमारी आंतरिक भावना छे. करी शकायो छे, तेनां खास कारणो जो जोईए तो एना ग्राहकोनी वधती जती सख्या
आ खास अंकमां गत् वर्षना अंको अने प्रेमाळ दृष्टीज छे.
करतां अमारा वां
वीरनिर्वाण अंक. चकोने विशेषता गत् वर्ष हिंदवी प्रजाने असुखाकारीभरेलु
ए जोवामां आवशे नीवडयुं छे, तेमां के ज्यारे गत् वर्षे पांच भाषाना लेखो अने गत वर्षy अवलोकन. जैनोमांथी दान- घणां चित्रो हता, त्यारे आ अंकमां हिंदी,
वीर शेठ माणे- गुजराती, इंग्लीश, मराठी, संस्कृत, पाकृत, कचंदजी, बाबू धन्नूलालजी, शेठ परमेष्टीदासजी अने उर्दू एम ७ भाषाना ५१ लेखो अने कबिडेप्युटी चम्पतरायजी, स्था. अग्रेसर राय शेठ ताओना संग्रह उपरांत त्यागीओ, तीर्थो, चांदमलजी, जाणीता “ जैन" पत्रकार मी. श्रीमानो, विद्वानो, जाहेर संस्थाओ, जाहेर मगुभाई वगेरेना ओचीता वियोगथी जैनोंने जे उत्सवोना देखावो वगेरेना ४९ रंगबेरंगी भारे खोट पडी छे, ते कदी पुराय तेम नथी. चित्रो रजु थाय छे, जेमां 'कल्पतरुसिंचन' तेमज गत् वर्षमा घणी बेंकोना देवाळांथी प्रजा- नुं टाईटल पृष्ठy चित्र एटलं तो बोधक अने ने असह्य संकटमां उतर पडवा उपरांत चार आकर्षणीय छे के,जे जोईने मनन करवाथी अमारा मास थयां कदीपण न थयेलुं एवं गंजावर वांचको उत्तम ज्ञाननो अनुभव प्राप्त करी रणसं
शकशे. वळी आ वखते केटलीक बोर्डिगो आखी दुनियाना व्यापार उपर एटली अने सभाओना ग्रुप चित्रो परीचय सहित बधी थती जाय छे के जो आ भयंकर लडाई प्रकट कर्या छे, जेथी जैन कोमने आपणी संस्थावधु लंबाय, तो अणधारी अने असह्य आफतो ओ शुं कार्य करी रहेली छे, ते जाणवार्नु उत्तम आवनानो संभव छे. आ युद्धमा युरोपना घणां साधन मळी शकशे. ज्यारे सार्वजनिक घणा राज्यो जेवां के इंग्लांड, फ्रान्स, स्शीआ, बेल- खास अंकोमा बनावटी अने मोहक चित्रोनो जीयम, जर्मनी, ऑस्त्रीया, सर्वीया, तुर्कस्थान, समावेश थाय छे, त्यारे आ अंकमां एवु एक होलंड उपरांत चीन, जापान वमेरे बहार पडेलां पण चित्र नथी के जे मात्र मनने मोह पमाडछे, जेनुं भविष्य शुं आवशे ते कई कळी नाकं होय, पण आ अंकना चित्रोथी वांचकोने शकातुं नथी, पण एटलं तो नक्कीज छे के 'सत्य- घणुंज जाणवानु, जोवानुं अने मनन करवानें