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________________ ] ड्ड = ढ्यः ?भ } आढ्य तु' अड्ड थाय छे. ण= न (?), श, म्न, न्न, ण्य, न्य, णं, ण्व, न्व, भट्ठे रुग्ण, यश, प्रद्युम्न, प्रसन्न, पुण्य, अन्योन्य, वर्ण, कण्व. अन्वेषणा, ने महले रुण्ण जण्ण, पज्जुण्ण, पसण्ण, पुण्ण, अण्णोष्ण, वण्ण, कण्ण, अण्णेसणा थाय छे. અધ્યાપક કૉવેલ લિખિત ण्ह = क्ष्ण श्न, ष्ण, स्न, हूण, ह भ तीक्ष्ण, प्रश्न, विष्णु, प्रस्तुत, पूर्वाह्ण, वहि ने महले तिve, पण्ह, विष, पण्हुद, पुव्वण्ह, वहि थाय छे. ६ =ब्द, ( ? ), द्र, दे, छः अद्दइअ थाय छे. न्त = क्त, प्त, त्न, त्म, त्र, त्व, ते बेभ भक्त, सुप्त, पत्नी, आत्मा, शत्रु, सत्त्व, मुहूर्त ने महते भत्त, सुप्त, पती, अप्ता, सन्तु, सप्त, मुहुत्त थाय छे. त्थ = क्थ, त्र, १ थे, स्त, स्थ; भ सिक्थक, तत्र, पार्थ, हस्त, अवस्था ने महले सित्थभ, तत्थ, पत्थ, हत्थ, अवस्था थाय छे. [ ५३२ भ है शब्द, भद्र, शार्दूल, अद्वैत ने महले सद्द, भद्द, सद्दल, दू=ग्ध, ब्ध, धं, ध्वः प्रेम ! स्निग्ध, लब्ध, अधे, अध्वन्, ने महले सिणिद्ध, लद्ध, अद्ध, अद्धा थाय छे. न्द = न्त ( शैौरसेनीभां हाथ थाय छे. ) प्रेम डे किन्तु, प्रभावान् ने महले किन्दु, पहाववन्दो थाय छे. २ प्प = रप, प्य, प्र, पे. ल्प, ल, क्मः 3 उत्पल, विशप्य, अप्रिय, सर्पणीय, अल्प, विप्लव, रुक्म ने पहले उप्पल, विष्णप्प, अप्पिय, सप्पणीय, अप्प, विष्पव, रुप्प थाय छे. भ મદલે एफ = त्फ, एफ, ( :फ ), स्फ, ष्प, स्पः भ है उत्फुल्ल, निष्फल, स्फुट, पुष्प, शरीरस्पर्श ने उप्फुल्ल, णिप्फल्ल, फुड, पुप्फ, सरीरप्फंस थाय छे. ब्ब = द्व, बे, ब्रः भेभ ङे उद्बन्ध्य, अब्राह्मण्य ने महले उब्बन्धिय, अब्बम्हणम्. કે ष्भ = ग्भ, द्भ, भ्य, भ्र, भे; प्रेभ } प्राग्भार, सद्भाव, अभ्यर्थना, अभ्र, गर्भ ने महले पब्भार, सम्भाव, अष्भत्थणा. अब्भ, गब्भ थाय छे. य्य = थे, र्ज, ( भागधी ); रि= ड, ये (हाथ ); भ म्म = खा, एम, न्म, स्य, मं, ल्मः ५ भ है दिङ्मुख. षण्मुख, जन्म, सौम्य, वर्मन् गुल्म ने से दिम्मुह, छम्मुह, जम्म, सोम्म, वम्म, गुम्म थाय छे. म्ह = प्म, क्ष्म, स्म, ल भ 3 ग्रीष्म, पक्ष्मन्, विस्मय, ब्राह्मण ने महले गिम्ह, पम्ह, विम्हअ, बम्हण थाय छे. भ } कार्य, दुर्जनः ने महले करये, दुय्यणे थाय छे. तादृश, चौर्य ने महले तारिस, चोरिअ थाय छे. १. त्र नेहले त्थ असा भव्ययोगांन वथराय छे, नेभडे एत्थ ( अत्र ), तत्थ ( तत्र ). २. लुग्यो मोथलिनु शाकुं०, था. १५५ नोट 3. आत्मा प्पहो = चतुष्पथः आत अप्पा तथा अत्ता मे छे. प्प = स्प, स्फ, ३ सभासमान, प्रेम चउ , ४. भ=ह, ঈभड़े विब्भल = विहल. ५. मिलू==लू, भेभ मिलाण = म्लान लुग्यो बेसन, पा. २५८. वणी, व=द्व, ेभङे वारह=द्वादश.
SR No.542003
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Samiti 1923
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Karyalay
Publication Year1923
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Sahitya Sanshodhak Samiti, & India
File Size20 MB
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