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________________ ( ६ ) साधन की उपयोगिता बढ़ती है। डॉ० मोन्टीसोरी इस बात का प्रतिरोध करती हैं । उसकी यह मान्यता है कि अमुक एक साधन को बच्चा एक दफा खराब तौर पर अथवा योग्य तौर पर काम में लावें तो उस साधन को सच्चे उपयोग की तरफ झुका देना चाहिये । उसको साधन के सच्चे उययोग का लाभ देना बड़ा मुश्किल है अथवा अधिक कठिन है इसका अर्थ ऐसा नहीं है कि मोन्टीसोरी पद्धति में सर्जन शक्ति और कल्पना शक्ति के विकाश को अवकाश ही नहीं है । अक्सर ऐसा कहा जाता है कि बच्चा जब किसी भी साधन का दुरुपयोग करता है तब यह बात ढूंढ निकालनी चाहिये कि उस वक्तु उस दुरुपयोग के पीछे बच्चे में विकाश की कौनसी वृत्ति है । बालक की जो सर्जन शक्ति अथवा कल्पना शक्ति मोन्टीसोरी पद्धति के साधन के दुरुपयोग द्वारा व्यक्त होती मालूम होती है उस सर्जन शक्ति और कल्पना शक्ति का रूप मालूम कर लेना चाहिये और उससे तृप्ति, वेग और विकाश जो होता है उसी के अनुसार साधन बच्चे को देना चाहिये और यदि वह मोन्टीसोरी के साधन का सच्चा उपयोग न कर सकता हो तो उससे वे साधन ले लेने चाहिये । मोन्टीसोरी पद्धति के साधन बच्चों का अनेक देशी विकाश सिद्ध करने का दावा नहीं करते हैं । बालजीवन के विकाश में जो अगत्य की वस्तुएं हैं और जो वस्तुएं सिद्ध करने के लिये साधनों की पूरेपूरी कठिनता थी उन्हीं साधनों को डॉ० मोन्टीसोरी ने मुख्यतः पहिले ही पहल रचे हैं । अभी नये साधनों के लिये अवकाश काफी है और इस विशिष्ट साधनों द्वारा दूसरी वृत्तियों की तृप्ति देने के लिये नये २ साधन ढूंढ निकालने की जरूरत है इसी तरह साधनों में बढ़ोतरी हो सकती है और मूल साधनों का दुरुपयोग रुक सकता है । इस पद्धति के साधन क्रमिक हैं। किस क्रम से और किस समय साधन बच्चे के पास रखना आदि बातों का निर्णय किया गया है तथा किस तरह साधन बच्चों के समक्ष रखना आदि के लिये दिशा बताई गई है । किस क्रम से साधन रखना आदि के विषय में अन्यत्र कहा जायमा । यहां पर यह नोट करने की खास आवश्यक्ता है कि साधनों का जो क्रम रचा गया है वह लम्बे समय के अनुभव और आविष्कार का परिणाम है तो भी इस क्रम के अधिन रहने का कोई खास कारण नहीं है। जहां तक यह क्रम बालमानस के विकास के संमत
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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