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यह समाज दूर रह जायगा अतएव हमारे पौवाल नवयुवकों से निवेदन है कि वे यदि समय के साथ चल कर अपने आपको समाज के बन्धन से छुटकारा कराना चाहते हैं तो आप उनको उनके स्थान पर छोड़ कर सामाजिक सुधार के क्षेत्र में आ डटें और कमर कस कर अपने पैरों पर खड़े होकर सामाजिक सुधार संगठन पूर्वक करना शुरू कर दें । निम्न लिखित सुधारों को कार्य रूप में परिणित कर दें किसी की राह देखने की आवश्यक्ता नहीं है ।
( १ ) प्रत्येक युवक १८ वर्ष और युवति १४ वर्ष पहिले लग्न ( व्याहशादी ) न करने की प्रतिज्ञा ले और इससे कम उम्र वालों की शादी में भाग न ले । ( २ ) बेजोड़ विवाह का विरोध करना और ऐसे विवाह में शामिल न होना ।
( ३ ) ३० से ४५ वर्ष तक की उम्र का युवक अपने से आधी उम्र से भी कम उमर वाली कन्या के साथ व्याह न करे ।
( ४ ) तड और पेटा ज्ञाति की मर्यादा को दूर करने की कोशिश करना । ( ५ ) विधुर युवक कन्या के साथ लग्न न करे जब तक कि पौरवाल समाज में कन्या की बहुतायत न हो ।
( ६ ) रोटी व्यवहार वाली समाज के साथ बेटी व्यवहार शरू कर देना ताकि कन्या की कमी पूरी हो सके ।
( ७ ) प्रत्येक युवक स्त्री पुरुष के समान हक्कों के स्वाभाविक सिद्धान्तों का पालन करे ।
( ८ ) विधवाओं के साथ समाज का निष्ठुर बर्ताव जो होता है उसका विरोध कर उनकी बहतरी में सहकार देना ।
( 8 ) प्रत्येक युवक का फर्ज है कि वह समाज में होने वाले टायें-मोसरगामसारणी को रोके और उसका विरोध जाहिर कर ऐसे जीमण में शामिल न हो और उसको सर्वथा बन्द कराने का प्रयास करे ।
(१०) एक स्त्री के जीवित रहते दूसरा विवाह करे तो उसके साथ असहकार रखे ।