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________________ किसी भी तरह की बुरी आदतों का विचार न कर उसका सोदा पका कर अपने आप नरक को प्रस्थान करने का पासपोर्ट ले लेता है और उसके जीवन की बरवादी कर देता है। ठीक है अब समय स्वतंत्रता का आया है अपने अधिकार में आये हुये को इस प्रकार खड्डे में धकेलना कहां तक चलेगा । अब चेत जामो वरना आपका अन्याय अब नहीं चलेगा। कन्या आपकी शर्म कब तक रखेगी आखिर उसको आपके विरुद्ध होकर अपना न्यायपथ स्वीकार करना पड़ेगा। अतएव आपकी शर्म रहे और आपका अपमान न हो इस प्रकार अब आपका बर्ताव कन्याओं के प्रति होना चाहिये । कन्या-विक्रय रोकने के लिये निम्न लिखित बातों पर पूरा ध्यान देकर कार्य रूप में परिणित करना चाहिये: १-वृद्ध विवाह की रुकावट होनी चाहिये, २-एक स्त्री के होते दूसरी स्त्री का विवाह न होना चाहिये, ३–पञ्चों के भारी लागा-कर भरने में रिहाई करना चाहिये, ४-वर विक्रय बंद होना चाहिये । ५-कन्या की शादी पर बन्धन रूप रिवाजों को तोड़ना चाहिये, ६-दहेज यानी दायजा अपनी शक्ति के उपरान्त न देना चाहिये, ७-विधुर को कन्या नहीं देना जिस प्रकार विधवा होने पर वह शादी नहीं कर सकती है उसी प्रकार विधुर भी शादी नहीं कर सकता है। कन्या विक्रय का विशेष प्रचार विधुर ही करते हैं इसकी पूरी रुकावट होनी चाहिये, ८-कन्या की १४ वर्ष और पुरुष की १८ वर्ष से कम उम्र की शादी नहीं होनी चाहिये । बी. पी. सिंघी पौरवाल समाज में सुधारों की आवश्यक्ता पौरवाल समाज सब समाजों से सुधार मार्ग में पीछे है इसके लिये कई बार पोरवाल पश्चों से प्रार्थना की गई फिर भी वे अपने ध्येय से इश्च मात्र भी आगे नहीं बढ़ते हैं। चूंकि समय के साथ चलना जरूरी है वरना राष्ट्र संघ से
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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