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कार्ड में लिखे पुराने पदार्थ ही थे । अर्थात् पदार्थ बदल गये तो भी उसमें का साम्य वह नहीं समझ सका । इटार्ड बहुत निराश हुआ और वह बोल उठा "कम नसीब लड़का मेरी मेहनत और तेरे प्रयत्न निष्फल गये । पुन: जंगल में चला जा और जंगली जीवन में आनन्द ले" परन्तु इटार्ड फिर उत्साहित हो गया और प्रयोग शुरू किये। आखिरकार वह जंगली कई एक शब्दों का अर्थ सीख चुका। इटार्ड के उक्त प्रयोग में मोन्टीसोरी पद्धति की इन्द्रिय शिक्षा में काम में आने वाली छः खाने की भौमितिक आकृति का मूल है। साम्य से सिखाने का सारा सिद्धान्त मोन्टीसोरी ने इटार्ड में से लिया है। __मोन्टीसोरी अपने प्रयोग में जो धीरज रखने का कहती है वह सिद्धान्त इटार्ड का ही है। प्रयोग करने वाला कभी थकता है एक दफा तो जंगली के साथ नंगली भी हो जाता है और इस विषय में इटार्ड मोन्टीसोरी का समर्थ गुरु. है। मोन्टीसोरी पद्धति देखने का महत्व और बालकों के अनुसार शिक्षा का प्रबन्ध करने की जरूरत इटार्ड के प्रयोग से प्रदर्शित होती है । इटार्ड ने बहरों गुंगों के शिक्षा का जो अद्भूत कार्य किया है उसके सम्बन्ध में यहां पर विवेचन करने का स्थान नहीं है।
. उक्त अवरन के जंगली की बात सुन्दर और रसिक है । इटार्ड ने उसको कई तरह से शिक्षित किया परन्तु उसको बहुत फल नहीं मिला। यद्यपि जंगली बहुत बातों में सामानिक हो गया था और थोड़ा बहुत समझना सीख गया था तो भी वह मनुष्य की साधारण कोटी पर नहीं पहुंच सका था। ऐसी माशा प्रतित होती थी कि ज्यों २ यह बड़ा होता जायगा त्यों वह अधिक अच्छा होता जायगा परन्तु जब वह युवान होगया तब अधिक मस्तीखोर हो गया अतएव उसको प्रयोगशाला में से छुट्टी दी गई और वह उसको सम्हाल ने वाली बाई के साथ रहा जब तक कि वह जीवित रहा ।
सेगुइन अडवर्ड सेगुइन ने सं० १८१२ ई० में फान्स के केलेन्सी गांव में जन्म लिया था उसने इटार्ड के पास सरजरी आर वैद्य का काम सीखा था। यद्यपि
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