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________________ मोन्टीसोरी पद्धति और डाक्टर मोन्टीसोरी . यदि हम यूरोप के शिक्षा के इतिहास की और ध्यान दे और साथ ही माथ वहां के शिक्षा फैलाने वालों की नामावली की तरफ ध्यान दे सो मालूम पड़ेगा कि उनकी नामावली में किसी भी स्त्री का नाम नहीं है। प्रथम ही प्रथम स्त्री शिक्षक (शिक्षा फैलाने वाली स्त्री) पैदा करने का मान इटली को है। डॉ. मोन्टीसोरी में मानववंशशास्त्री, शरीरशास्त्री, मानसशास्त्री, तत्ववेत्ता और स्त्री शिक्षा इन सब का एक ही स्थान पर दर्शन होता है। बालक और बालमगज के यह खास अभ्यासी है। स्वयम् अविवाहित होने पर यह माताओं की माता है और बालको की महान सरस्वती है। बालस्वतंत्रता के नये युग के प्रवर्तकनार तथा जड़वाद और पराधीनता की बेड़ी में से मनुष्य जाति के उद्धार का भारंभिक प्रयत्न करने वाली डॉ मोन्टीसोरी है। डॉ. मोन्टीसोरी की स्थिति मध्यम है परन्तु वह संस्कारी माता पिता की इकलौती पुत्री है इसका जन्म इटली की स्वतंत्रता की लड़ाई के आखरी दिनों में ई० स० १८७० में हुआ था इसके कुटुम्ब को व्यवसाय अथवा परंपरा से शिक्षा से कोई सम्बन्ध न था। उन दिनों में स्त्रिऐं मुश्किल से ही पढ़ा करती थीं। इसीसे प्रतिभाशाली विद्यार्थिनी को सामाजिक बंधनों के सामने होना पड़ा और समाज सुधारक के तौर पर आगे जाना पड़ा। आगे चलकर उसी स्वातंत्रता की भेट सारे संसार के बच्चों को दी। उसी स्वतंत्रता की उसने बचपन ही में उपासना की थी। लोकमत को तोड़ने के लिये जिस आत्मबल और आत्मश्रद्धा की मनुष्य में आवश्यक्ता है वह बल और श्रद्धा डाँ मोन्टीसोरी में पहिले से ही थे और उसी के परिणाम स्वरूप अनेक विरोधी तत्वों के सामने लड़ी। आखिरकार वह सारे जगत के समक्ष एक अपूर्व आशीर्वाद के रुप में खडी रही। - ग्यारह वर्ष की छोटी उम्र में उसमें किसी भी कार्य को करने की उर्मि अग उठी उस समय इटली में स्त्रि, नीच कोटी में गिनी जाती थी अधिक से अधिक स्त्रिये शिक्षिका के व्यवसाय के लिये योग्य मानी जाती थी और व वही कार्य किया करती थी उस समय का समाज स्त्री जाति का दूसरे
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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