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________________ (१७) के विश्वविद्यालयों में कई चीनी यात्राएं अध्ययन कर रही है। चीन में भी कई लड़कियों के कॉलेज खोले गये हैं। चीन के प्रसिद्ध वाइसराय ईसेनक्यू क्यूफेन की नाविनी ने चीन में स्त्री प्रचार में बड़ी सहायता पहुंचाई है। उसने स्कूल और कॉलेज की स्थापना और संचालन कर स्त्री-शिवा का प्रादर्श उपस्थित किया है। एक और प्रसिद्ध स्त्री आन्दोलक है पेरिस से बैरिस्ट्री पास कर पानेवाली महिला मिस एमीचेंग! इस देवी के विषय में कहा जाता है कि जिस समय वह बहस करने को खड़ी होती है वो "जन" दंग रह जाते हैं। अभी तक वह एक भी "केस" नहीं हारी। स्त्री-अध्यापकों की गणना तो बहुत है। कई स्त्रियां डाक्टर, बैंकर और गवर्नमेन्ट-पदों पर भी नियुक्त हैं! सन् १९११ से लड़कियों ने खुले हृदय से कार्य-क्षेत्र में आना शुरू किया है। इन शिविता देवियों ने स्वतंत्र प्रेम का उपदेश किया! पहिले तो इनके पागल उपदेश का बड़ा दौर-दौरा रहा। परन्तु क्रमशः वे भाव दब गये ! किन्तु यह विचार अब भी खूब प्रचलित है कि "लड़कियों का लड़कों के बराबर ही अधिकार हैं।" अब देश भर में लड़कियों के स्कूलों की मांग हो रही है। अब स्वयम् लगकियें भी अपने पति को चुनने लगी हैं। सरकार ने यहां लड़कियों को अपने भाइयों के बराबर ही हिस्सा लेने का हक दे दिया है। अब चीनी-स्त्रिये अपने पति को 'तलाक' दे सकती हैं ! कई स्त्रियों ने उन चण्डी का रूप भी धारण कर रखा है। कई लड़किये साम्यवादी भी बन गई हैं। कई समुद्री डाकुओं में शरीक पाई गई हैं। सन् १९२९ में एक चीनी-स्त्री-डाकू तो 'पाबंक' की प्रतिमा समझी जाती थी। कई डाछ और लुटेरों के गिरोह में भी शामिल हैं। एक देवी ने एक पुरुष को इस लिये उड़ाया था कि वह उस पर पासक थी और उससे शादी करना चाहती थी! प्राज चीनी स्त्री 'नाच' में भी शरीक होती है। स्कूलों में गायन शास्त्र का अध्ययन भी करती हैं। सारांश में- बाज 'परिपूर्णता की भोर अग्रसर के .
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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