________________
( १३) सम्मेलन डेलीगेटों के लिये रहने का, पानी का व रोशनी का इन्तजाम करें। इस काम को करने में रुपये एक हजार से अधिक का खर्चा नहीं हो सकता अलावा इसके एक हजार का दूसरा खर्च प्रोफिस आदि को भावि में साल भर चलाने का होगा जो निभाव फण्ड व डेलीगेटों की फीस से बआसानी पूरा हो सकेगा। यदि पोरवाल जाति को अपने पुरखाओं के सदृश यश, कीर्ती और भाति को जीवित रखना है तो सम्मेलन को स्थाई तौर पर चलाना चाहिये, और संसार भर के पोरवालों के साथ रोटी पेटी व्यवहार खोल देना चाहिये । .
___अभी हमें सुदर्शन से यह भी पता चला है कि एक ओसवाल जो १५-२० साल से मुसलमान हो गया था और उसने भिशितन के साथ विवाह किया था जिससे उसके कई लड़के लड़कियां हुई। स्यालकोट के स्थानीय संघ
जनियों ने उसको व उसके कुटुम्ब को जैन विधि से शुद्ध कर अपने में मिला लिया। हर्ष का विषय है कि शुद्ध हुए जैन महाशय ने जब अपने नये घर का प्रवेशोत्सव किया तब स्यिालकोट की जैन बिरादरी के सब स्त्री पुरुष उनके सहभोजन में सम्मलित हुए इस मौके पर खास बात यह हुई कि वह भिशितन जैन धर्म में परम् श्रद्धालु है। नित्य सामायिक और दर्शन करती है उनके साथ किसी प्रकार का कोई भेद विरोध नहीं रखा गया है। खबर है कि श्वेताम्बरी
जैन स्त्रियों ने उसके साथ एक पत्तल में बैठ कर भोजन किया था । सहभोज में दिगम्बर श्वेताम्बर सब ही जैनी सम्मलित हुए थे।
भाप लोगों को यह देख कर आश्चर्य होगा कि पोसवाल लोग अपने अन्दर से मुसलमान हुए भाई को फिर ओसवाल पनाते हैं जब कि आप लोन परस्पर क्लेश कर हर जगह टुकड़ों २ में विमाजित हैं और जाति को रसातल की
और लेजा रहे हैं। सिरोही का एक प्रसङ्ग है कि पहितरा लालचन्दजी ने धोखे में एक विवाह किसी अनजान ज्ञाति की स्त्री से किया था। जिसको पौरवाल मुधारक पार्टी ने अक्रमन्दी से शामिल रखा है जिसके लिये उनको धन्यवाद है परन्तु इस विवाह की वजह से दो पार्टी हो गई हैं। हमारा सबसे ससानुसेध निवेदन है कि लालचन्दजी की अज्ञानता को चमा कर सब सिरोही की पौरास बांति को एक हो जाना चाहिये। ।। in ..
... ..ti