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________________ (१३६ ) उपरोक्त ओसवाल जाति संगठन को देख कर मी पोरवाल ज्ञाति को सचेत हो जाना चाहिये। सचेत हो जाने के लिये और ज्ञाति को ठीक रास्ते पर लाने के लिये ही सम्मेलन भरने की आवश्यक्ता है। सम्पादक पावश्कीय सूचना महावीर सिरोही में स्थानिक प्रेस न होने से पत्र बराबर नहीं निकलता है इसलिये दूसरे अधिवेशन तक जबतक इसको बाहिर से छपवाने का प्रबन्ध न हो तब तक यह पत्र रिपोर्ट के रूप में सौ सवा सौ पृष्ठों में छः माही निकला करेगा यांनी साल भर में दो बार प्रकाशित होगा जिसका वार्षिक मूल्य रु० १) मय पोस्टेज के होगा। प्रकाशकसमर्थमल रतनचन्दजी सिंधी, महा मंत्री, श्री अखिल भारतवर्षीय पौरवाल महा सम्मेलन सिरोही ( राजपूताना ). प्रकाशक श्रीवामणवाड़जी तीर्थ में जैन मीमुजियम खोला गया है जहां २ प्राचीन खण्डित मूर्तिएं हो श्रीवामड़वाड़जी भेजने की कृपा करें । प्रार्थीताराचन्द दोसी
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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