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(५६) वर्तमान में व्यायाम मन्दिरों की प्रापश्यता और उनको
निर्माण करना। (५७) विद्या प्रचार के सास साधन प्रस्तुत करने की आवश्यका । (५८) उन्नति के भिन्न २ साधनों का जुटानां । (५६) समाज और राष्ट्र उपयोगी कार्य में धन का व्यय करना । (६०) समानधर्म और समानगुणपाली जातियों में बिना मेद भाष
के विवाह की छूट । (६१) जैन धर्मानुसार शाति मेदों की अस्थिरता । (६२) भारत में एक विशाल काणिज्य मन्दिर स्थापित करना । (६३) भावी पोरवाल युवक व युवतियों का संसार प्रदेश, व्यापार,
देशसेवा आदि का विस्तृत कार्यक्रम । (६४) जापान में पोरवाल बोर्डिङ्ग हाऊस को स्थापित करने की भावश्यक।
दूसरा भाग (१) पोरवाल समाज के मन्दिर मय चित्रों क संचित इतिहास के । (२) प्रसिद्ध २ शिलालेख, परवाने व ताम्रपत्र । ( ३ ) पौरवालों की बस्ती के गांव शहर, घर संख्या और मनुष्य संख्या। (४) पौरवाल समाज के व्यक्तियों के चित्र मय उनके खानदान के
संक्षेप इतिहास सहित । ( ५ ) पोरवाल युवकों को आहाहन । (६) भारतभर के परिवालों का वस्ती पत्र । (७) ज्ञाति को उन्नति पथ पर ले जाने को एक सबल संगठन ।
सम्पादकपोस्वाल हिस्ट्री पजीशिक हाऊस,
सिरोही, (राजपूताना).