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के गुणगान गाये हैं ? रोमन लोगों के युद्ध पांडित्य का प्रमाण रोमनों का लिखा हुआ इतिहास है। ग्रीक लोगों के वीर होने का परिचय भी उन्हीं के लिखे हुए इतिहास से मिलता है । मुसलमानों के बहादुर होने की बात भी उन्हीं की लिखी हुई तारिखों से जान पड़ती है। यूरोप की वीरता, धीरता एवं बुद्धिमता का परिचय यूरोपियन लेखकों ने ही हम तक पहुंचाया है। हमने अपनी वीरता, धीरता, सभ्यता, संस्कृति, शिल्पकला और साहित्य का कोई इतिहास निर्माण ही नहीं किया, इसीलिये हमारे पराक्रमी पूर्वजों की धवल कीर्ति को अथवा हमारे चरित्र-गौरव को कोई नहीं मानता; क्योंकि हमारा इस बात का कोई गवाह नहीं है ।"
आज
तो वह जमाना है कि संसार की घुड़दौड़ में सब के साथ रहने के लिये अपना पूर्व इतिहास नहीं है, तो भी उसे उज्ज्वल स्वरूप में तैयार वर संसार के सामने रखते हैं। कुंजड़ों की औलाद मी गर्व से कहती है कि हमारे बाप दादे बड़े बांके रणबीर हो गये हैं । यह बात तो अदालत के मामले मुकदमे में झूठे गवाह पेश करने जैसी हुई, ऐसा कोई सरल चित्त पाठक प्रश्न कर बैठेगा तो इसका जवाब 'हां' के सिवाय और कुछ भी नहीं है । जिन जातियों का पूर्व इतिहास कुछ भी नहीं हैं वे उसका निर्माण कर रही हैं और हमारा सब कुछ होते हुए भी हम उसकी ओर उदासीन होकर बैठे हुए हैं। हैं। जैसा कि महाराष्ट्रीय विद्वान् दत्तात्रेय कालेलकर का कहना है भारतीय समाज की खूबी इतिहास लिखने की अपेक्षा उसको जीवित रखने अर्थात् जीवन में उसे चरितार्थ कर दिखाने में ही थी और जब तक हमारी प्राचीन परम्परा टूटी नहीं थी तब तक हमारा इतिहास हमारे जीवन में जीवित था । परन्तु जब से हमने अपने देवता तुल्य पूर्वजों के मार्ग पर चलना छोड़ा है और केवल लकीर के फकीर बनकर बैठे हैं, तभी से हमको अपने गौरवपूर्ण इतिहास की आवश्यक्ता भी मालूम होने लगी है। आज हम से हमारी संतान सदाचार का कोई सबक नहीं सीख सकती, हमारा बहुत गहरा पतन हुआ है । इतना गहरा कि कुत्ते हमारी हालत पर रो सकते हैं, गधे हँस सकते हैं, व शूकर मुंह चिढ़ा सकते हैं ।
इतिहास का महत्व क्या है ? यह बात अभी तक हम लोग बराबर नहीं समझे हैं | इतिहास साहस को बढ़ाने वाला, स्फूर्ति देनेवाला कर्तव्य बताने