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७०० तापसों के लिये आश्रम बनवाये । ६४ मसजिदें बनवाई। ८४ सरोवर के घाट बनवाये। ४८४ तालाब बनवाये। ४६४ बावड़िएँ रास्तों में बनवाई। ४००० विश्रामस्थान बनवाये । ७०० कुए बनवाये।
३६ किले बनवाये । ५०० ब्राह्मणों को रोज भोजन दिया जाता था। १००० तापसों को रोज भोजन दिया जाता था। ५००० सन्यासियों को रोज भोजन दिया जाता था ।
२१ जैन आचार्यों का महोत्सव पूर्ण पदार्पण कराया । ५० कोड़ मोहरें आबू गिरनार, शत्रुजय पर खर्च कर मंदिर बनवाये आदि।
पंच अर्ब जिन खर्व दीध-दुर्बल आधारा । पंच अर्ब जिन खर्व कीध जिन जिमणदारा ॥ सतानवे कोड़ दीध पौरवाल कबहु न नटे । पुरियत पच्यासी कोड़ फूल तांबोली हटे ।। चंदण सुचीर कपुरमसी क्रोड़ बहत्तर कपड़ा।
देता ज दान वस्तुपाल तेजपाल करतब बड़ा । वस्तुपाल तेजपाल को नीचे माफिक विरुद ( टाइटल मिले थे।) (१) प्राग्वट ज्ञाति अलंकार (8) बुद्धि अभयकुमार
(२) सरस्वती कण्ठाभरण (१०) रुचि कंदर्प , (३) सचीव चूड़ामणि
(११) चातुर चाण्यका (४) कुर्चाल सरस्वती
(१२) ज्ञाति वरह ( ५ ) धमपुत्र
(१३) ज्ञाति गोपाल (६) लघु भोजराज
(१४) सइयद वंश क्षय काल (७) खंडेरा
(१५) सारपलारायमान मर्दन (८) दातार चक्रवती
(१६) मज्जजैन