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समाज दिग्दर्शन
समाज-दिग्दर्शन
सिरोही के पौरवाल समाज में सुधार-म० मा० पोरवाल महा-सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन की पूर्ण आहुति के पश्चात् सिरोही के पौरवाल समाज मे स्वीकृत प्रस्तावों को कार्य रूप में रखने का विचार कर जाति सुधार किया है जिसका विस्तृत वर्णन इसी अङ्क में दिया गया है। स्वीकृत प्रस्तावों में से जाति सुधार के आठों प्रस्तावों को कार्य रूप में रखने का दृढ़ निश्चय किया है और इसके विमुख बर्ताव करने वाले पर शिक्षा करने का आयोजन किया है जो निःसन्देह प्रशंसनीय है । हमें यह लिखते आनन्द होता है कि सम्मेलन के प्रस्तावों को कार्य रूप में रखने में श्रीगणेश सब से प्रथम सिरोही के पोरवाल समाज में किया है। हमें आशा है कि अन्य गाँवों का पोरवाल समाज इनका अनुकरण अवश्य करेगा। सिरोही के पौरवाल समाज ने सम्मेलन के प्रस्तावों के अतिरिक्त और भी सुधार किये हैं जैसे कि कन्याओं का पढ़ाना अनिवार्य रक्खा है धादि। ___ साह मूलचन्दजी चैनमलजी का स्तुत्य कार्य-ता० १६.४.१६३५ के दिन की मामेरा बोबावत धर्मचन्दजी को साह मूलचन्दजी के यहां से पहिनाया गया। उस वक्त मूलचन्दजी ने रेडिएं व बैन्ड लाने से इन्कार किया तो धर्मचन्दजी वालों ने नीव के नीचे उनके घर के कुछ फासले पर गली के नाके रेडिएं व बैन्ड लाकर खड़ा किया, मामेरा पहुंचाने गली के नाके आये तब सूलचन्दजी ने कहा कि आपको हमें ले जाने से अच्छा दीखता हो तो हमें ले जांय वरना इनको ले जाय । इस पर उन्होंने कुछ जवाब न देकर रंडियों ने बैन्ड के साथ चलना शुरू किया। मामेरा करने वाले सब सज्जन बहुत से जाति के उत्साही सज्जनों ने उसमें भाग नहीं लिया । हम साह मूलचन्दजी चैनमलजी के इस कार्य के लिये हृदय से सराहना करते हैं और उनको इस कार्य के लिये धन्यवाद देते हैं।
सिरोही राज्य के झोरा प्रान्त में पौरवाल जैन विद्यालय-पोरवाल सम्मेलन के प्रस्ताव नं० २ के अनुसार झोरा के पोरवाल समाज ने एक विद्या