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महावीर
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PRAMMAR
साहित्य दिग्दर्शन
आबू (प्रथम भाग ) लेखक शान्तमृति श्रीमद् जयन्तविजयजी महाराज, प्रकाशक शेठ कल्याणजी परमानन्दजी की पढ़ी, सिरोही, मूल्य रु० २॥)
श्राबू देलवाड़ा के जैन मंदिर कारीगरी के लिये संमार भर में अनुपम और सुन्दर हैं । ये मंदिर संसार के शिल्प साहित्य में अद्वितीय हैं। इस तीर्थ की उत्पत्ति का इतिहास भी बड़ा गौरवमय है आबू पर के सब जैन, शैव और वैष्णव तीर्थों का वर्णन मय चित्रों के दिया गया है। साथ ही साथ सुंदर देखने योग्य प्राकृतिक स्थानों के चित्र मय वर्णन के दिये गये हैं । चित्र संख्या ७४ के हैं फिर भी इसका मूल्य रु० २॥) ही रक्खा गया है । सारा ग्रन्थ ऐतिहासिक सामग्री से परिपूर्ण है इसके लिये लेखक व प्रकाशक दोनों धन्यवाद के पात्र हैं। आबू देलवाड़ा के मन्दिरों को देखने यूरोपियन लोग अधिक संख्या में आते हैं और वे सब चित्रकारी को जानना चाहते हैं परन्तु कोई साहित्य उपलब्ध न होने से वे उस विषय में सच्ची हकीकत नहीं जान सकते हैं। हमाग देलवाड़ा जैन मंदिर कमेटी के सदस्यों से निवेदन है कि वे बहुत शीघ्र इसका अंग्रेजी भाषान्तर प्रकाशित करें ताकि इन मंदिरों की प्रसिद्धि अधिक हो ।
जैन जागृति-नामक नया मासिक पत्र बम्बई से प्रकाशित होने लगा है इसके दो अङ्क मई और जुन के हमारे सामने हैं। दोनों अङ्कों का सम्पादन बड़ी योग्यता से हुआ है । छपाई और कागन सुन्दर हैं और साथ ही साथ पत्र सचित्र भी है। इसके उद्देश्य जैनों के तीनों फिरकों में एकता व शिक्षा प्रचार का है । पहिले अङ्क में स्थानकवासी जैन कॉन्फरन्स के १० भाव मय चित्र तथा लेख हैं। दूसरे अङ्क के लेख भी पहिले अङ्क से कम आकर्षक नहीं है। पत्र हर तरह से अपनाने योग्य है । इसका वार्षिक मूल्य सिर्फ पोष्टेज सहित रु० २॥) है और यह पत्र प्रकाशक "जैन जागृति" ५१ सुतारचाल बम्बई से प्रगट होता है। ऐसे उत्तम मासिक को सम्पादन व प्रगट करने के लिये निःसन्देह श्रीयुत् डाह्यालालजी मणीलालजी महता धन्यवाद के पात्र हैं ।