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________________ महावीर शिवा फण्ड एवं चूड़ा का बहिष्कार यह सम्मेलन का सुन्दर तात्कालिक शुभ परिणाम है। पूज्यपाद आचार्य श्री विजयवल्लभसरिजी के इस प्रॉन्त की शिक्षा के लिये बनाये हुए अनहद प्रेम का सथा सबूत है। सम्मेलन के साथ २ महिला परिषद् की योजना करने से और अनेक पढ़ी लिखी बहनों ने अपने वक्तृत्व से स्त्रियों के दिल पर-बड़ा सुन्दर प्रसर पैदा किया है। इससे जाति की खिये कुरूढ़ियों को कुरूढ़ियों के रूप में जानने लग गई हैं। इस परिषद् में हमारी स्त्रियों के पहनाव, जेवरों का बोझ, कन्या विक्रय आदि विषयों पर बहुत प्रकाश डाला गया है और अनेक स्त्रियों ने अपार उत्साह दिखा कर समयोचित सुधार करने के लिये अपनी इच्छा जाहिर की है। - यह सब उत्साह और सेवा का जोश चालू रखने के लिये और जाति को सुधार की राह पर धीरे २ ले जाने के लिये स्थानिक कार्यकर्ताओं को कटिबद्ध होने की आवश्यकता है। जिस प्रदेश में विद्या का अभाव है और जहां सामाजिक कुरूदिये उग्र रूप में फैली हुई हैं, वहां सुधार का कार्य बहुत ही कठिन है और वह लम्बे अर्से के बाद फली भूत होता है। इसलिये जाति को आगे ले जाने के लिये सम्मेलन की भोर से प्रचार कार्य सतत चालू रखने की प्रावश्यका है। अतः सम्मेलन के तीन दिन के कार्य के बाद कुम्भकर्ण की निद्रा में रहने से काम नहीं चलेगा। हमको हमेशा जागृत रह कर सम्मेलन के किये हुए प्रस्तावों को कार्य-रूप में परिणत कर आगामी अधिवेशन तक सुन्दर कार्य का इतिहास उपस्थित करना होगा। हम अन्तःकरण से चाहते हैं कि दूसरों के विरोध एवं वैमनस्य के होते हुए भी हमने शान्ति एवं सहनशीलता से सम्मेलन का कार्य समाप्त किया है, इससे भविष्य में हमारी जाति की उन्नति एवं जहोजलाली प्राप्त करने में अवश्य फलीभूत होंगे। शासनदेव सब को सम्मति दो और हमारा कल्याण करो। "
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
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