________________
पोरवालों की दानवीरता जैन विद्यालय भादि के स्वयं सेवकों ने एवं उनके सेनाधिपति (के टन) चुनीलालजी देवराजजी को उनकी सेवा के लिये अभिनन्दन दिया गया। सम्मेलन की कार्यवाई का उप-संहार करते हुए प्रमुख महाशय ने कहा कि-:
"शासनदेव की कृपा से हमारे अखिल भारतवर्षीय पौरवाल महासम्मेलन का कार्य सफलता से समाप्त हुआ है इससे सर्व सहश्य सज्जनों को अवश्य आह्लाद होगा।
हमारे गुरुवर्यों ने अपने अमूल्य समय का भोग देकर और बिहार की विडम्बनाएं उठा कर संमेलन को अपने पवित्र चरणों से पावन किया है। इतना ही नहीं बल्कि अपनी अमृतमय देशना से सभी जनों पर और खास कर स्त्री समाज के ऊपर जो प्रेरणात्मक संगीन और सनातन प्रभाव डाला है, वह कभी भी भूला नहीं जा सकता । उसके लिये संमेलन के इस अधिवेशन में पधारे हुए आचार्यगण एवं मुनिराजों का हम जितना आभार मानें वह कम ही है।
___यद्यपि यह पहला ही अधिवेशन है तथापि व्यवहारिक दृष्टि से विचार करते हुए, कार्यकर्ताओं की कार्य दक्षता को देखते हुए और हमारे भाइयों का उत्साह देखते हुए हमारी ज्ञाति ने अद्भुत प्रगति की है, ऐसा कहने में किसी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं है । सम्मेलन में जो २ प्रस्ताव पास करने में आये हैं वे बहुत ही अगत्य के एवं महत्व के हैं। उनमें खास करके विद्यालय, हाईस्कूल बोर्डिङ्ग, गुरुकुल छात्रवृत्ति, महिला विद्यालय, व्यायामशाला आदि के प्रस्ताव बहुत ही जरूरी हैं। उनकी स्थापना के लिये जो कमेटियाँ मुकर्रर की गई हैं उनकी आगामी अधिवेशन के अवसर पर तैयार होने वाली रिपोर्ट हमारी शाति के लिये बहुत ही उपयोगी एवं मार्ग दर्शक होगी। उपरान्त दांत के चूड़े, रेशमी कपड़ा वगैरा उपयोग नहीं करने का, स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की वाक्त, कन्या विक्रय एवं टाणे मौसर का प्रतिबन्ध, वृद्ध लग्न निषेध, समाज में रोटीबेटी व्यवहार सम्बन्धी निश्चय और अन्त में सम्मेलन का मुख पत्र निकालने, डाईरेक्टरी बनाने, के ठहराव समाज के लिये बहुत ही उपयोगी एवं उन्नति के मार्ग में ले जाने वाले हैं। ये प्रस्ताव ताकीद से कार्य रूप में परिणत किये जाय ऐसी भाशा है।