SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री पोरवाल सम्मेलन महाराज का भाषण पूर्ण होने के पश्चात् दूसरे दिन के अधिवेशन की कार्रवाई स्थगित की गई और 'शांतिविजयजी महाराज की जय' का जय घोष के साथ समा विसर्जन हुई। तृतीय दिवस. ता० १३ अप्रेल १९३३ के दिन प्रातःकाल ८ बजे से सम्मेलन के पण्डाल में श्रीसंघ की एक मीटिंग हुई। इस सभा में आचार्य श्री विजयवल्लभमरिजी महाराज, योगराज श्री शान्तिविजयजी महाराज आदि चतुर्विध संघ उपस्थित था । पण्डाल खूब खचाखच भरा हुआ था, कारण उस समय टिकट और बिना टिकट वाले किसी को आने की रोक टोक नहीं थी। मंगलाचरण के पश्चात् सभा का कार्य प्रारम्भ हुआ। एक दो सज्जनों के भजन होने के बाद सम्पादक श्वेताम्बर जैन ने खड़े होकर श्री केसरियानाथजी तीर्थ के विषय में भाषण करते हुए श्रीसंघ के सन्मुख एक प्रस्ताव रक्खा । प्रस्ताव की नकल अलग दी जायगी। शिवगंज निवासी श्रीयुत् रिषभदासजी और जयपुर के सेठ गुलाबचंदजी दवा के समर्थन अनुमोदन तथा प्राचार्य श्री और योगिराज के प्रकाश डालने पर श्री केसरिया नायजी की जय बोल कर उपस्थित जनता ने प्रस्ताव को स्वीकार किया और सर्व सम्मति से पास हुमा । सम्मेलन के योग्य सभापति सेठ दलीचंद वीरचंदजी श्राफ की ओर से मिस्टर ढवाजी ने खड़े होकर एक अभिनन्दन एवं उपाधि समर्पण पत्र पढ़ा । इसमें पंजाब केशरी प्राचार्य श्री विजयवल्लभमरिजी महाराज के विद्या प्रेम और ज्ञान प्रचार की प्रशंसा करते हुए आपको 'प्रज्ञान तिभिर तरणि कलिकाल कल्प तरका विरुद अर्पण करने की इच्छा प्रकट की गई । उपस्थित संघ की सम्मति मिलने पर सभापति महोदय ने खदर पर छपा हुमा उपरोक्त पत्र प्राचार्य श्री को भेट किया। फोटोग्राफरों ने उस समय के दृश्य का फोटो भी लिया इसके पश्चात् स्वागताध्यक्ष सेठ भभूतमल चतरानी ने खड़े होकर दूसरा 'अभिनन्दन एवं उपाधि समर्पण' पत्र पढ़ा। उसमें योगीराज को 'अनन्त जीव प्रतिपाल योगलब्धि सम्पन्न राज राजेश्वर' का पद अर्पण किया । जनता ने 'प्राचार्यदेव व महाराज शान्तिविजयजी की जय' का जयघोष करके हर्ष एवं सम्मति प्रकट की। स्वागताध्यक्ष ने खदर पर छपे हुए 'अभिनन्दन एवं उपाधि समर्पण' पत्र को योगिराज
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy