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________________ महावीर पौरवाल समाज का सफल सम्मेलन सत्तर हजार मानव मेदनी में शिक्षा प्रचार और समाज सुधारों के लिये किये गये प्रस्ताव, वीरनगर की भूमि पर पौरवाल समाज के इतिहास का पुनः उत्थान श्री बामणवाड़जी का स्थान श्री बामणवाड़जी तीर्थ सिरोही राज्य में है। इस तीर्थ की यात्रार्थ जानेबालों को बी० बी० एण्ड सी० आई० रेलवे के सज्जन रोड पर उतरना होता है । यहां से ।) मोटर किराया देकर मोटर द्वारा श्री बामणवाड़जी तीर्थ भेटने जाया जाता है। सम्मेलन ने कोशिश कर ।) भाड़ा को कम कराकर सम्मेलन के उत्सव तक तीन आना करा दिया था। श्री बामणवाड़नी महा तीर्थ भगवान् की पवित्र उपसर्ग भूमिका आज जंगल में स्थित है । स्वयम् तीर्थ जैन जगत में भी अर्धदग्ध प्रसिद्ध है परन्तु आज यह तीर्थ श्री अखिल भारतवर्षीय पोरवाल महा सम्मेलन और गोलियां के उत्सव की वजह से प्रकाश में आया है । चैत्री ओलियों के उत्सव व पोरवाल महा सम्मेलन के कार्यक्रम का प्रचार बहुत ही उत्तम रीति से किया गया निससे लोगों का उत्साह इस तरफ झुका और जहां पांच पचीस मनुष्यों की बसती नहीं थी वहां पर पांच हजार भाविकों ने नवपद आराधन उत्सव किया । मारवाड़ में यह उत्सव पहिला व अपूर्व था। रचना का कार्यक्रम अच्छा था नवपद आराधन कार्य उत्साहपूर्ण था और आत्म भक्ति के लिये जो कार्यक्रम निश्चय किया गया था वह अपूर्व था । जैन धर्म के अपूर्व भाव भरे हुए विविध तीर्थों के और भगवान् महावीर के बोध प्रद प्रसङ्ग खास तौर से तैयार कराये गये थे जो जनता को अच्छा बोध पाठ सिखा रहे थे । श्री बम्बई पोरवाल मित्र मंडल के आश्रय के नीचे यह उत्सव आरंभ किया गया था जो अच्छी तरह निर्विघ्न पूर्वक समाप्त हो गया। ता० ५ को श्री विजय वल्लभभूरीश्वरजी के शिष्य परशिष्य चरणविजयजी आदि के आगमन पर लोगों ने योग्य सत्कार किया और व्याख्यानों का लाभ लिया । उपरोक्त मंदिर एक विशाल कोट में घिराहुआ है। कोट के अंदर दुकानें, कोठरियां, धर्मशाला व कमरे इस कदर बनी हुए हैं जिनमें दो हजार मनुष्य बड़े आराम से ठहर सकते हैं।
SR No.541501
Book TitleMahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC P Singhi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1933
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size18 MB
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