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________________ 26 अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 18. यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् । उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् (श्री. भ.गी. -17.10) अर्थात् कुछ काल तक रखा हुआ (बासी), नीरस, दुर्गन्धित, ठण्डा, झूठा एवं अपवित्र भोजन तमोगुणी व्यक्ति को प्रिय होता है। 19. आयुः सत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः । रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहारा: सात्विकप्रियाः (श्री.भ.गी.-17.8) अर्थात् आयु, सात्त्विक वृत्ति, बल, आरोग्य, सुख और उल्लास की वृत्ति करने वाले रसीले, स्निग्ध शरीर में समाविष्ट होकर लम्बे समय तक स्थिर रहने वाले, मन को प्रसन्नता प्रदान करने वाले सात्त्विक प्रकृति वाले पुरुष को प्रिय होते हैं। 20. नानौषधि भूतं जगति किञ्चित् (स.सं.सू. 26.12 ) 21. द्र.प्र.स्थ. -यु.भ.-2.2.7; स. सं.-202; (शर्करा ); शि.त. र. - 2.6.19.60; ज्ञाना. - 21.16 22. घे.सं.-5.27 (पथ्य); हत. कौ. - 4.42 (पथ्य); यो. शा. हे.च. - 3.38 (पथ्य) 23. द्र.प्र. स्थ. - शि. त.र. - 1.6.10.33 24. घे. सं. 5.28 (पथ्य) 25. घे. सं. - 5.18 (पथ्य) 26. द्र.प्र. स्थ. - यु.भ.- 2.2. - 7 27. घे. सं. - 5.18 (पथ्य) 28. द्र.प्र. स्थ. - यु. भ. - 2.2-7; शि. त. र. - 2.6.27.39 29. प्र. प्र. स्थ. - यु. भ. - 2.2-7; शि. त. र. - 1.6.10.23 30. घे. स. - 5.28 (पथ्य); यो.क. - 5.33 (पथ्य); यो.क.-5.33 (पथ्य) यो. शा. हे. च. 3.28 (पथ्य) 31. प्र. प्र. स्थ. - यु. भ. - 2.2. - 7; मत्स्यं. सं. 8.7 (जम्बू); शि.तर. - 1.6.10.23 32. द्र.प्र.स्थ. - यु.भ.2.2-7; शि.तर - 2.6.14.38; 2.6.14.79; 2.6.24.11 33. द्र. प्र. स्थ. - यु. भ. 2.2-7 34. द्र. प्र. स्थ. - यु. भ. 2.2-7 35. प्र. प्र. स्थ. - यु. भ. - 2.2.7; शि. तर 1.6.10.48 36. द्र. प्र. स्थ. - यु.भ. 2.2. -7 37. प्र.प्र. स्थ. - मत्सयें. सं. 4. 71; संसं. - 91 उ.; शि.सं.-5.12 (शुण्ठि) 38. ह.प्र. - 1.62 (पथ्य); ह.प्र. ज्यो. टी. - 1.62 (पथ्य); ह.प्र.द. अ. -1.50 (पथ्य); (पथ्य); ह.र.-1.71 (पथ्य); ह.त. कौ. - 7.32 (पथ्य); शि. तर. - 2.7.15.7 (पथ्य) 39. द्र.प्र. स्थ. - यु.भ. - 2.2-7; शि. त. र. - 2.6.21.161 40. ह. प्र. ह. प्र. ज्यो. टी.-1.59 (अपथ्य) 41. द्र.प्र.स्थ. - यो.क.- 2.49 (तील); यो. बि. - 67.98 42. ह.प्र.1.59 (अपथ्य); ह.प्र. ज्यो. टी. 1.59 (अपथ्य); ह.र.-1.72 (अपथ्य); हत. कौ. - 4.28 (अपथ्य) 43. द्र. प्र. स्थ. - यु. भ. - 2.2. -7 44. घे. सं.5.25 (अपथ्य) यो.क.- 15.32 45. द्र.प्र. स्थ. - स. सं.-92-94; 1253.-129; शि.तर. - 2.6.15.40 46. ह. प्र. ह. प्र. ज्यो. टी. 1.59 (अपथ्य) संकेताक्षर :
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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