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________________ अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 जैन पुरातत्त्व में वीर छबीली टीले की कलाकृतियों का योगदान । - डॉ० संगीता सिंह जैनधर्म एवं संस्कृति की एतिहासिकता अत्यन्त प्राचीन है। छठी शताब्दी ई0पू0 में गंगा-यमुना के दोआब के उर्वर भूमि में महावीर स्वामी के संरक्षण में जैनधर्म एवं संस्कृति ने नये कीर्तिमान स्थापित किये एवं जनमानस में अपनी लोकप्रियता स्थापित की। उत्तर प्रदेश की भूमि का निर्माण मुख्यतः वर्ष पर्यन्त प्रवाहित होने वाली दो नदियों गंगा-यमुना के द्वारा जल के साथ बहाकर लाई गई मिट्टी के फलस्वरूप सम्पन्न हुआ। उत्तर प्रदेश में आगरा से 36 किलोमीटर दूर पश्चिम में फतेहपुर-सीकरी स्थित है। पर्वत श्रेणियों की ऊँचाई वहाँ के आस-पास के सतह से 150 फुट है। पूर्व की ओर झुकी होने के साथ-साथ फतेहपुर-सीकरी की पर्वत चोटी अपने शिखर पर कुछ-कुछ समतल है। यहाँ सीकरी झील स्थित है। यहाँ यमुना नदी की एक उपसरिता ऊटेन गंगा भी प्रवाहित होती है। फतेहपुर-सीकरी से पाँच किलोमीटर की परिधि में झील के किनारे वीर छबीली टीला स्थित है। यहाँ से प्राप्त कलाकृतियों का जैन पुरातत्त्व में महत्त्वपूर्ण योगदान है। महाभारत में इस क्षेत्र का अन्य नाम 'सेका' का भी उल्लेख किया गया है। यहाँ से प्राप्त एक जैन सरस्वती की प्रतिमा के अभिलेख में 'सेक्रिक्या' उत्कीर्ण है। अतः सम्भव है कि मध्यकालीन नाम सीकरी भी इसी स्रोत से लिया गया होगा। यहाँ के मूल निवासी राजपूत भी सिकरवार कहलाते हैं। फतेहपुर-सीकरी में झील के किनारे स्थित वीर-छबीली टीले की जैन प्रतिमाओं की उपलब्धि प्राचीन इतिहास, संस्कृति, कला एवं पुरातत्त्व के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है। फतेहपुर-सीकरी का पुरातात्त्विक उत्खनन कार्य समय-समय पर होता रहा है किन्तु जैन शिल्प कला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण उत्खनन
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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