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________________ अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 33 दिया। भारत के मूल निवासियों के मुकाबले में उन्होंने अपने को अच्छा मान लिया। हालाँकि मूल भारतीयों की नागरिक सभ्यता आर्यों की सभ्यता की तुलना में कहीं अधिक बढ़ी-चढ़ी और उन्नत थी। यह तथ्य अब सिन्धु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में प्राप्त अवशेषों से पूर्णतया स्थापित हो चुका है। आर्य सभ्यता का प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद ईसा पूर्व बारह सौ वर्ष के आस-पास की रचना माना जाता है, जबकि सिंधु सभ्यता कम से कम पच्चीस सौ वर्ष पूर्व की तो प्रमाणित हो ही चुकी है। आर्यों ने भारत के मूल निवासियों को हराकर उनके नगरों को ध्वस्त कर दिया। उन्हें असुर, असभ्य, काला, नीच, दास, दानव और राक्षस तक कहना शुरू कर दिया। जब धीरे-धीरे आर्यों का राज्य कुछ प्रदेशों में स्थिर हुआ और वे मूल निवासियों के साथ घुल-मिल गये तो दोनों संस्कतियों का एक दसरे पर प्रभाव पडना प्रारम्भ हआ और इस प्रकार सांस्कृतिक आदान-प्रदान का क्रम प्रारंभ हुआ। वस्तुतः जब भी दो संस्कृतियां लम्बी अवधि तक एक-दूसरे के सम्पर्क में रहती हैं तो परस्पर प्रभाव ग्रहण करने की स्वाभाविक प्रक्रिया भी शुरू हो ही जाती है। अतः यहाँ के मूल निवासी भी आर्यों के रहन-सहन और व्यवहार आदि के तौर-तरीके ग्रहण करने लगे। आर्य लोग केवल यज्ञशालाओं में ही आपस में मिल बैठते थे जबकि भारतीयों के मिलन-स्थल नदियों के किनारे हुआ करते थे। धीरे-धीरे यज्ञ और तीर्थ दोनों मिल गये। यज्ञों के स्थान पर द्रविड़ों के प्रभाव से मूर्ति पूजा ग्रहण की गई। द्रविड़ देवता आर्यों के देवताओं में सम्मिलित हो गये। उनके गुण एवं स्वभाव तथा नाम भी आर्य बना दिये गये। इस प्रकार के संगम से एक संयुक्त संस्कृति का शुभारम्भ हुआ। वैदिक आर्यों का धर्म प्रकृति के तत्त्वों की पूजा और पेशा-पशुपालन था, वे अच्छे धनुर्धारी थे। वे महत्त्वाकांक्षी भी थे और उसी भावना से उत्प्रेरित होकर उन्होंने भारत की ओर प्रयाण किया था। उनका प्रथम संघर्ष सीमा प्रान्त में हुआ। वहाँ उन्होंने विजितों को दास बनाया और उनके मुखिया का नाम सुदास रखा, जिसका वर्णन ऋग्वेद में है। इनका प्रथम उपनिवेश आज का पश्चिमी पाकिस्तान था। वहाँ वे बड़े-2 यज्ञ करते,
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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