SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 शांतिपूर्वक नग्न रहकर देवदूतों के समीप रहते हैं, उन्होंने अपनी इच्छाओं से मुक्ति पाकर प्रभु से स्वर्गसुख का आशीर्वाद पा लिया है, आदि विषयों पर गंभीर विवेचना दी गयी है। प्रसिद्ध इतिहास विद्वान- अबुरेहान मुहम्मद अल बरूनी जिसका जन्म रूस में हुआ था, की प्रसिद्ध कृति 'किताबुल हिंद' जिसे अलहिंद के नाम से जाना जाता है, सन् १०३० में लिखी गयी इस पुस्तक में मध्यकालीन भारतीय धर्म दर्शनों के प्रश्नों पर विवाद (विचार विमर्श) किया गया, इसे इतिहासकारों ने मध्ययुग की भारतीय धर्मदर्शन, विज्ञान-साहित्य-रीतियोंप्रथाओं-अनुष्ठानों एवं रस्मों का विश्वकोश माना है। भारतीय इतिहास वेत्ता एवं जैन इतिहास के रूसी विद्वान- ईवान मिनायेव ने अनेक बार जैन धर्म के ऐतिहासिक तथ्यों को एकत्र करने के लिए भारत की यात्राएं की। यहाँ वे जैन विद्वानों से मिले तथा मठों व मंदिरों का भ्रमण किया। एक संदर्भ में उन्होंने लिखा है कि पूना के दक्षिण कालेज के ग्रंथागार से एक जैन पांडुलिपि की प्रतिलिपि मांगी तो उन्हें घोर निराशा ही हाथ लगी। रूस के सोवियत विज्ञान अकादमी के प्राच्य विद्या संस्थान की लेनिग्राद शाखा में रूसी विद्वान ईवान मिनायेव द्वारा तिब्बत, नेपाल, भारत एवं श्रीलंका से लायीं गयी ९०४ हस्तलिखित पाण्डुलिपियां संरक्षित हैं, जिसमें वैदिक पाठ, पुराण, जैन तथा बौद्ध ग्रंथों की प्राचीन पाण्डुलिपियां सम्मिलित हैं जिनकी भाषा या लिपियाँ- संस्कृत, पाली, प्राकृत व ब्राह्मी आदि हैं, इनमें ३४० पाण्डुलिपियां जैनधर्म से संबन्धित हैं इनमें कुछ तो दुर्लभ हैं, श्रेष्ठ एवं प्रमुख महत्वपूर्ण पाण्डुलिपियों में सुभाषितावर्ण'- संस्कृत ग्रंथ जिसमें १००० से अधिक श्लोक हैं जिनका वैज्ञानिक दृष्टि से काफी महत्व है, इसमें लेखका का नाम नहीं है किन्तु किसी जैन द्वारा लिखा गया है, इसे दुर्लभ की श्रेणी में रखा गया है। नयविजय द्वारा प्रणीत चित्रसेन पद्मावती चरित्र (५३६ श्लोक), विभिन्न शारीरिक लक्षणों के अनुसार स्वभाव एवं भाग्य बताने वाली समुद्रिका', आचारंग, कल्पसूत्र, सूत्रकृतांगसूत्र, शीलंक कृत आचार टीका, लक्ष्मीवल्लभ कृत-कल्पद्रुम कलिका, हरिभद्र कृत-दशवैकल्पिका वृहतवृति, दिगम्बर जैनों की संस्कृत एवं प्राकृत में
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy