SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 92 टिप्पण - १ अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 रूस में जैन पाण्डुलिपियाँ - ललित जैन ईसा के पट्ट शिष्य संत थामस जब ईसाई धर्म के प्रचार के सिलसिले में हिन्दुस्तान आये थे तो उन्हें हिन्दुस्तान में व्याप्त मंत्र-तंत्र एवं धर्म व्यवस्था से सर्वाधिक प्रभावित किया, उन्होंने भारतीय ब्राह्मण एवं श्रमणों पर ढेर सारी जानकारी तथा पाण्डुलिपियाँ एकत्र कर विशेष अध्ययन किया और एकत्र विषय सामग्री के आधार पर भारत विषय पर अनेक पुस्तकें लिखीं। प्राचीनतम् रूसी इतिवृत्त “पोवेस्त ब्रमेन्नीखलेत (काल क्रमिक गाथा)” में पृथ्वी में ज्ञात विभिन्न जातियों (धर्म) का विवरण देते हुए बताया गया है कि ‘बाख्तीय’ जिन्हें ‘राह्मन' (दिगम्बर) कहा जाता है इस जाति के लोग, अपनी कट्टर धर्म परायणता के कारण मांस-मदिरा का प्रयोग नहीं करते, व्यभिचार नहीं करते, किसी को भी दुःख पहुँचाने को पाप मानते हैं और सदैव नग्न रहते हैं; इसी तरह का विस्तृत विवरण 'पल्लाडियस व मीडियोलेनम मठ’ के संत ‘अम्ब्रोस; का 'भारत की नस्लें एवं ब्राह्मण' शीर्षक से लिखा ग्रंथ व रूसी लेखक येफ्रोसिन ने गेओर्गी आमार्तोल के इतिवृत तथा अन्य स्रोतों के आधार पर 'राह्मन और उनके आश्चर्य जनक जीवन' नाम से ग्रंथ लिखा जिसमें राह्मन (दिगम्बर साधुओं) के बारे में लिखा है कि- इन लोगों ने स्वर्ग के निकट रहते हुए अपनी इच्छाओं को परिसीमित कर लिया है, जिनके पास न तो लोहा है और न सोना, न मंदिर है- न मदिरा, वे मांस नहीं खाते, केवल कुछ सब्जी खा कर मीठा पानी पी कर, निरंतर नग्न रहकर ईश्वर की आराधना में लीन रहते हैं, इनका एक सरदार (गुरु) होता है जिसके मार्गदर्शन में वे अपना दैनिक जीवन जीते हैं। प्राचीन रूसी साहित्य में 'अलेक्सान्द्रिया' कथा का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है जिसका स्रोत अरस्तु के भतीजे कलेस्थनीज के नाम से लिखी गयी ‘सिकन्दर गाथा है’ जो पहली सदी में समसामायिकों के वृतांतों के आधार पर लिखी गयी है, इस कृति में सिकन्दर के भारत विजय अभियान का विशेष प्रसंग है, जिसमें भारतीय राजा पुरू के साथ सिकन्दर का युद्ध, भारतीय ब्राह्मण तथा अन्य धर्म साधुओं से सिकन्दर की वार्ता का विस्तार पूर्वक वर्णन, इसी कथा में राह्मनों के जीवन वृतांत - जो किसी भी पाप का बोझा नहीं ढोते,
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy