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________________ 70 अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 से सम्बन्धित इन प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत किया है। संसार में सभी प्राणी अपनी-अपनी आयु लेकर आते हैं। नित्य मरते और उत्पन्न होते हैं। अतः जीवों के मरने में, सावधान व्यक्ति यदि कारण होता है तो वह हिंसक नहीं कहा जा सकता और न उसके अणव्रती अहिंसक होने में कोई दोष जाता है। क्योंकि उसके अन्तस् की भावना पवित्र एवं दया से परिपूर्ण है। यहाँ हमें हिंसा-अहिंसा को भावों पर ही आधारित मानना पड़ेगा। यदि ऐसा न मानें तो एक ही व्यक्ति का मोक्ष और बन्ध न हो। दशवैकालिकचूर्णि में कहा गया है कि कदाचित् जीव-वध हो भी जाय तो भी वह पाप से लिप्त नहीं होता। क्योंकि सर्व प्राणातिपात से मुक्त रहने के लिए वह सर्व प्राणातिपात-विरमण महाव्रत ग्रहण करता है। उसकी रक्षा के लिए अन्य महाव्रत ग्रहण करता है, इन्द्रियों का निग्रह करता है, कषायों को जीतता है तथा मन, वचन और काया का संयम करता है। अहिंसा के सम्पूर्ण पालन के लिए आवश्यक सम्पूर्ण नियमों का जो इस तरह पालन करता है, उससे कदाचित् जीव-वध हो भी जाय तो वह हिंसा के पाप से लिप्त नहीं कहा जा सकता। जिस प्रकार छेद-रहित नौका में, भले ही वह जलराशि में चल रहीं हो या ठहरी हुई हो, जल प्रवेश नहीं पाता उसी प्रकार संवृतात्मा श्रमण में, भले ही वह जीवों से परिपूर्ण लोक में चल रहा हो या ठहरा हो, पाप प्रवेश नहीं पाता। जिस प्रकार छेद रहित नौका रहते हुए भी डूबती नहीं और यतना से चलाने पर पार पहुंचती है, वैसे ही इस जीव को लोक में यतनापूर्वक गमन आदि करता हुआ संवृतात्मा भिक्षु कर्म बंध नहीं करता और संसार समुद्र को पार करता है। शुद्ध भाव वाले व्यक्ति को भी यदि केवल द्रव्य हिंसा के कारण हिंसक मान लिया जाये तो एक व्यक्ति भी इस संसार में अहिंसक नहीं कहला पायेगा क्योंकि मुनिजन भी वायुकायादि जीवों के वध के हेतु हैं। अतः शुभ परिणामों के साथ संसार में सक्रिय रहते हुए अहिंसा की साधना की जा सकती है। हिंसा के सम्बन्ध में विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार नाना प्रकार की शंकायें उपस्थित होती हैं कि ऐसी परिस्थिति में ऐसा करने से हिंसा हुई या नहीं। इन शंकाओं के निवारण में अमृतचन्द्रसूरि (10वीं शताब्दी)
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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