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अनेकान्त 68/4, अक्टू-दिसम्बर, 2015
27 9. जो जीर्ण या मलेरिया ज्वर कुनैन आदि औषधियों के सेवन से नहीं मिटता है वह ज्वर दार-हल्दी का चूर्ण या क्वाथ देने से मिट जाता है। 10. पित्त पापड़ा और गिलोय के काढ़े में काली मिर्च का चूर्ण डाल कर पिलाने से जीर्ण ज्वर और खांसी में लाभ होता है। 11. विषम ज्वर (मलेरिया) की स्थिति में सुदर्शन चूर्ण गरम जल से देने से ज्वर शान्त होता है। 12. बकरी के दूध में सोंठ का बारीक चूर्ण मिलाकर या सोंठ को घिस कर सिर पर लेप करने से सिरदर्द ठीक होता है। 13. हरड़ की गुठली को पानी में पीस कर लेप करने से आधाशीशी की पीड़ा मिट जाती है। 14. प्रातः सायं दूध के साथ गुलकन्द का सेवन करने से स्मरण शक्ति
बढ़ती है।
15. घी और दूध के साथ 1 माशा बच का चूर्ण लेने से स्मृति की वृद्धि होती है। 16. ब्राह्मी से निर्मित धृत या मण्डूकपर्णी का स्वरस या गव्य दुग्ध के साथ यष्टीमधु (मुलेठी) का चूर्ण या गिलोय स्वरस या मूल और पुष्प युक्त शखपुष्पी के कल्क का प्रयोग करने से मेधा की वृद्धि होती है। अतः ये मेध्य रसायन है। इनमें ब्राह्मी एवं शंख पुष्पी विशेषत: मेध्य है। 17. अडूसा, मुनक्का और मिश्री का सेवन करने से सूखी खांसी मिट जाती
18. केर की लकडी की भस्म 1 रत्ती की मात्रा में मिश्री की चासनी के साथ खाने से सूखी खांसी में लाभ होता है। 19. अदरक का रस, नागरबेल के पान का रस और तुलसी पत्तों का रस सम भाग लेकर उसमें मिश्री मिला कर पीने से कफज खांसी में लाभ होता है। 20. मिश्री 16 तोला, वंशलोचन 8 तोला, पिप्पली 4 तोला, छोटी इलायची 2 तोला और दाल चीनी 1 तोला इनको कूट छान कर बारीक चूर्ण बना लें। यह सितोपलादि चूर्ण श्वास, कास, हाथ-पैर में अत्यधिक लाभकारी है।
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