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________________ 59 अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 का निर्देश नहीं किया गया है लेकिन अर्जन के साथ शुद्धि व व्यक्तिगत उपभोग परिभोग की सीमा सदैव कही गई है। आचार्य समन्तभद्र ने पांच अतिचारों का उल्लेख करते हुए लिखा है। अतिवाहनाऽति संग्रह, विस्मयलोभाऽतिभार वहनानि। परिमित परिग्रहस्य च विक्षेपाः पंच लक्ष्यन्ते। 'अर्थात अधिक सवारी रखना, अनावश्यक वस्तएँ इकटठी करना. दूसरे का वैभव देखकर विषाद करना, अति लोभ करना, बहुत भार लादना ये पांच परिग्रह के अतिचार कहे गये है।' अधिक लाभ के लिये वाहनों एवं पशुओं का क्षमता से ज्यादा उपयोग काम की आशा से धन को रोके रखना आदि। सामाजिक होने के नाते अर्थ द्वारा ही सब संभव है। मनुष्य बढती हुई इच्छाओं के कारण संचय करता है अपने विवेक एवं परिस्थितियों के अनुरूप इच्छाओं को परिमित करता है। प्रत्येक गृहस्थ के लिये आवश्यक है वह व्यवसाय इतना न फैलाए जिसकी वह संभाल न कर सके। सदैव व्यग्रता बढती रहेगी। जीवन भर कठोर श्रम करते हुए उसका संचय ही करने में लगा है, लोग उसे मूर्ख कहेंगे, क्योंकि जिन्दगी से उसने कभी कुछ प्राप्त नहीं किया। अर्जन संग्रह, संरक्षण में जिन्दगी जा रही है वो अर्थ का अर्थ न रहकर अनर्थ का बीज बन जायेगा। गृहस्थ जीवन रहते हुए हिंसा से नहीं बचा जा सकता। पर श्रावक अपनी दृष्टि को सही रखे, जो काम करे, उसके परिणाम से परिचित हो। आवश्यकता की सही पहचान हो, उपयोग से दूसरे के हित का कितना नुकसान है, विचार करे ताकि कम कर्मो का बंध होगा। विसर्जन की सवतियाँ : दान आदि पुराण में कहा है कि स्व पर के उपकार के लिये मन वचन काय की विशुद्धता पूर्वक जो धन दान दिया जाता है उसे दान कहते है। दान का अर्थ है संविभाग, न्यायोपार्जित आय में से अतिथि को योग्य आहार, अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना संपति का उचित वपन करना। अनुग्रहार्थ स्वस्यातिसर्गो दानम् १ महत्व :- दाणं सोहग्गकरं दानं अरूग्ग कारणं परमं दानं मोगनिहाणं, दानं ठाणं गुणगुणाणं१२ ___दान सुख सौभाग्यकारी है। परम आरोग्यकारी है। पुण्य का निदान और गुण समूह का स्थान है। परमार्थ की साधना है। अर्थ का यदि संग्रह किया जाय तो अनर्थ हो जाता है। बांटने से दिव्यार्थ बन जाता है। सार है
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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