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________________ अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 अनंतधर्मकं वस्तु प्रमाणविषयस्त्विह (षड्दर्शनसमुच्चय कारिका ५५, पृ. ३१२) अनंत यानि तीनों काल में रहने वाले अपरिमित सहभावी और क्रमभावी धर्मवाली वस्तु अनंतधर्मात्मकं अर्थात् अनेकान्तात्मक मानी जाती है। वस्तु चाहे चेतन हो या अचेतन हो- सब द्रव्य अनेक धर्मक या अनेकान्तात्मक है। वस्तु की या द्रव्य की अनन्तधर्मता का विवेचन अन्य आचार्यों के सदृश है। घट का पुद्गल द्रव्य की दृष्टि से विचार करें घट सत है, धर्म अधर्म है, आकाशादि द्रव्यों की दृष्टि से असत है। पौदगलिक घट का पौदगलिकत्व स्वपर्याय हुआ तथा जिन धर्म, अधर्म आकाश और अनन्त जीव द्रव्यों से घट व्यावृत्त होता है वे सब अनन्त ही परपदार्थ पर पर्याय है। घट पौदगलिक है, धर्मादि द्रव्य रूप नहीं है। घट पुद्गल होकर भी पृथ्वी का बना है। जल आग या हवा आदि से नहीं बना है। अतः पार्थित्व घट की स्वपर्याय है तथा जल आदि अनन्त परपर्याय है, जिनसे कि घट व्यावृत्त रहता है। इस तरह घट को जिस-जिस पर्याय से सत कहेंगे, वे पर्यायें घट की स्वपर्यायें हैं तथा जिन अन्य पदार्थों से वह व्यावृत्त होगा वे परपर्यायें होंगी। इस तरह द्रव्य की दृष्टि से घट की जो पर्याय बताई वे थोड़ी हैं। व्यावृत्ति रूप परपर्यायें तो अनन्त हैं, क्योंकि अनन्त द्रव्यों से घट व्यावृत्त होता है। इस प्रकार जो स्व और परपर्यायों का विवेचन किया है, उनमें जो स्वपर्याय है, वे वस्तु की धर्म हो सकती है, परन्तु परपर्यायें विभिन्न वस्तुओं के अधीन है। अतः उन्हें प्रस्तुत वस्तु का धर्म कैसे कह सकते हैं? घट का अपने स्वरूप की अपेक्षा से अस्तित्व, उसका धर्म हो सकता है। परन्तु पटादि परपदार्थों का नास्तित्व पटादि पर पदार्थों के अधीन है। अतः उसे घट का धर्म कैसे कह सकते हैं। जब वे परपर्यायें हैं तो वे घट की कैसे हो सकती है? इसका उत्तर इस प्रकार हैं वस्तु से पर्यायों का संबन्ध दो प्रकार का होता है- एक अस्तित्व रूप से दूसरा नास्तित्व रूप से। स्वपर्यायों का तो अस्तित्व रूप से सम्बन्ध है तथा परपर्यायों का नास्तित्व रूप से। जिस तरह रूप, रस आदि का घट में अस्तित्व है, अतः उनका अस्तित्व रूप से संबन्ध है। उसी तरह स्वपर्यायें घट में पाई जाती हैं, अतः उनका भी अस्तित्व रूप संबन्ध है। परपर्यायें घट
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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