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संदर्भ:
1 ऋषिभाषित : एक अधययन - डॉ. सागरमल जैन, प्राकष्टत भारती अकादमी, जयपुर,
1988, भूमिका, पृ. 9
Isibhasiyaim, L.D. Series, 45, Edited by Dr Walther Schubring, L.D. Institute
of Indology, Ahmedabad, First Edition, 1974, Introduction, P.5
इसिभासियाई (ऋषिभाषितानि, जैन विश्व भारती, लाडनूं 2011, पृ. 13
यह टीका संक्षिप्त है तथा पुस्तक के पष्ट 131 से 159 तक प्रकाशित है।
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इसि भासियाई, 20. 2-3 एवं 7 10 इसि भासियाई, 20.7. इसिभासियाई 22.2-3 12. पुरुष एवेदं सर्व यद्भूतं यच्च भव्यम् । उतामृतत्वस्येशानो, यदन्नेनातिरोकष्टति । । - ऋग्वेद,
13
अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015
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18
पुरुषसूक्त, 10.90.2
(अ) इसिभासियाई, 37.1-2 (ब) शतपथ ब्राह्मण 11.1.6.1 में उल्लेख है- आपो ह वा इदमग्रे सलिलमेवास।
14 हिरण्यगर्भः समवर्तताऽग्रे, भूतस्य जातः पहिरेक आसीत । ऋग्वेद, 10.121.1 15 इसिभासियाई, 37.4
16 इसिभासियाई, 31.9
द्रष्टव्य व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 1 में रोह के साथ भगवान महावीर की चर्चा ।
से जहाणामए पंच अत्थिकाया ण कयाइ णासी, ण कयाइ ण भवति, न कयाइ ण भविस्सति, भुविंच, भवति य भविस्सति य, धुवा णितिया सया, अक्खयाअव्या अवट्ठिा। इसिभासियाई 31.10
19 वही,
31.2
सभासियाई 21.3 इसभासियाई, 5.5
22 इसिभासियाई, 9.4
25 इसिभासियाई, 15.8 26 इसिभासियाई, 15.10
2 दुखिओ दुक्खघाताय दुक्खावेता सरीरिणो।
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पाडियारेण दुक्खस्स दुक्खमण्णं णिबंधाती ।। इसिभासियाई, 15.12
2 इसभासियाई 7.1
" जं सुहेण सुहं लद्धं, अच्चतसुहमेव तं
जं सुहेण दुहं लद्धं, मा में तेण समागमो । । - इसिभासियाई, 38.1
,
इसिभासियाई, लाडनूं ऋषिभाषित: एक परिचय, पृ. 21
sibhasiyam, Ahmedabad, Introduction, P. 3-4 और देखें इसिभासियाई, ऋषिभाषित एक परिचय पू. 18
इसि भासियाई, ऋषिभाषित : एक परिचय, पृ. 19
पत्तेयबुद्धसाहू, नमिमो जे भासितं सिवं पत्ता पणयालीसं इसिभासियाई अज्झयणपत्ताई ।। ऋषिमण्डलस्तोत्र 45
7
21 इतिभासियाई, 2.7
इसभासियाई 15.6
27 इसि भासियाई, 15.11