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________________ अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 संदर्भ : 1. अशोक के फूल- भारतवर्ष की सांस्कृतिक समस्या पृ. 67 2. वही, पृष्ठ 67 पर उद्धृत 3. 'कीरइ जीएण हेउहि जेण तो भण्णए कम्म। - कर्मग्रन्थ (आ. देवचन्द्र) भाग-प्रथम, गाथा-1 4. आत्ममीमांसा 8 की वसुनन्दीकृत वृत्ति। 5. समयसार, गाथा 80 6. तत्त्वार्थभाष्य, सिद्धसेनगणिकृत वृत्ति, 8.5 7. द्रव्यसंग्रह, गाथा 33 की टीका 8. स्थानांगासूत्र 2.1.5 की टीका 9. 'तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम्।' - तत्त्वार्थसूत्र, 1.2 10. पञ्चाध्यायी, गाथा 2/6-7 11. पञ्चास्तिकाय गाथा 31 की टीका 12. तत्त्वार्थसूत्र, 6.1.2 13. सर्वार्थसिद्धि, 6.13 14. भगवती आराधना की विजयोदया टीका 15. मिथ्यादर्शनाविरतिप्रमादकषाययोगाबन्धहेतवः।' तत्त्वार्थसूत्र, 8.1 16. सकषायत्वात् जीवः कर्मणो योग्यान्पुद्गलानादत्ते स बन्धः।' वही, 8.2 17. कर्मप्रकृतिः , पृ. 10-11 18. मोहमूलानि दुक्खाणि।' ऋषिभाषित, 2.7 19. मोहक्षयाज्शानदर्शनावरणान्तरायक्षयाच्च केवलम्।' - तत्त्वार्थसूत्र 10 20. सर्वार्थसिद्धि, 8.22 429, पटेल नगर, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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