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________________ अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 णमोकार मंत्र : एक भजन प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताणं। आध्यात्मिक पथ के अभिनेता, वीतराग प्रभु विश्व- विजेता। शरच्चन्द्र सम-श्वेत णमो अरिहंताणं, प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताणं ।।1।। अक्षय अरुज अनंत अचल जो, अटल अरूप अमल निश्चल जो अजरामर अद्वैत णमो श्री सिद्धाणं, प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताणं।।2।। धर्म संघ के जो संवाहक, निर्मल धर्म-नीति निर्वाहक। शासन में समवेत णमो आयरियाणं, प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताणं।।3।। आगम अध्यापन में अधिकृत, नील, कमलवत् जीवन अविकृत। शम, संयम समुपेत णमो उवज्झायाणं, प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताण।।4।। आत्म साधना लीन अनवरत, विषय-वासनाओं से उपरत। रागद्वेष निरखेत णमो लोएसव्व साहूणं, 'तुलसी' हे अनिकेत णमो अरिहंताणं। प्राञ्जल प्रणत सचेत णमो अरिहंताण।।5।। - आचार्य श्री तुलसी
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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