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________________ 63 अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 की समर्थक है परन्तु यदि आवश्यक हुआ तो युद्ध का सहारा भी ले सकती __ गुटनिरपेक्षता अलगाववाद अर्थात् अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों से दूर रहने की नीति नहीं है बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में पूर्णतया भागीदार होने की नीति है। इसका उद्देश्य विश्व राजनीति के मात्र एक असहाय दर्शन बनकर रहना नहीं है बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में स्वतन्त्रतापूर्वक विचार प्रकट करना और अन्तर्राष्ट्रीयशांति सुरक्षा में सहयोग देना है। __नवस्वतंत्र राष्ट्रों के लिए अपने तीव्र आर्थिक विकास के लिए दोनों ही गुटों के सहयोग और सहायता की आवश्यकता थी। एक गुट में सम्मिलित होने का अर्थ होता है कि पूरी तरह उसी गुट पर निर्भर रहना और दूसरे गुट के सहयोग से वंचित रहना। राष्ट्रीय प्रतिष्ठा, स्वतंत्र विदेश नीति तथा आर्थिक विकास सभी दृष्टिकोणों से गुटनिरपेक्षता की नीति श्रेयस्कर थी। नव स्वतन्त्र राष्ट्र चाहते थे कि वे केवल औपचारिक रूप से ही स्वतंत्र न हो बल्कि महाशक्तियों के प्रभाव से भी मुक्त हों। उन्होंने यह अनुभव किया कि गुटनिरपेक्षता में अपनी आस्था व्यक्त करके ही अपनी नीति और कार्यवाही को स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं। गुटनिरपेक्षता के कारण उन्हें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर ऐसी स्थिति और प्रतिष्ठा प्राप्त हो गई जो बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व से छोटे देशों को प्राप्त नहीं हो पायी थी। वे राष्ट्र किसी भी बड़े राष्ट्र की छाया मात्र बनना पसंद नहीं करते। __आज तो विज्ञान भी कण के अस्तित्व के लिए वैसा ही प्रतिकण आवश्यक मानता है। यह भी सिद्ध कर दिया है कि वे परस्पर विरोधी नहीं, एक दूसरे के पूरक हैं, सहयोग हैं और इतना ही नहीं एक दूसरे पर प्रभाव भी डालते हैं। ___ वास्तव में अनेकान्त सत्य का नहीं, सत्य दृष्टि का विवेचन है। वह एक विचार सरणि है, विभिन्न दिशाओं व दृष्टिकोणों से, अलग-अलग बाजुओं या पहलुओं से अथवा अनेकान्त अधिक से अधिक अपेक्षाओं से अध्ययन करने की प्रक्रिया है।
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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