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अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 . विष्णुधर्मसूत्रकार कर की सीमा निश्चित करते हुए देश में बने समान पर दसवाँ हिस्सा तथा आयातित सामान पर मूल्य का बीसवाँ हिस्सा व्यापार कर या बिक्रीकर के रूप में ग्रहण करने का विधान करते हैं। सोमदेवाचार्य कर की सीमा निर्धारित न करके उसे यथायोग्य कहते हैं पर राजा को षष्ठांशवृत्ति कहे जाने से वह सीमा आय के छठे हिस्से से अधिक नहीं मानी जा सकती है। वादिराजसूरिकृत पार्श्वनाथचरित में राजा की आय के साधनों में कर लेने का उल्लेख किया गया है। प्रजा के अतिरिक्त विजित राजाओं पर भी कर लगाया जाता था। कर उतना ही होना चाहिए जितना देकर व्यक्ति आनन्द का अनुभव करे। क्षत्रचूडामणि में कहा गया है कि महाराज जीवन्धर को कर देकर प्रजा आनन्द का अनुभव करती थी। समुद्र से व्यापार करने वाले सार्थवाह भी राजा को व्यापार कर प्रदान करते थे। वर्तमान कर व्यवस्था : ___ वित्तीय वर्ष 2014-2015 (01 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक)
कर निर्धारण वर्ष 2015-2016 के लिए आयकर की सीमा इस प्रकार निर्धारित की गई है - (१) अतिवरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष या अधिक आयु वाले स्त्री-पुरुष)
रु. 5,00,000.00 तक रु. 5,00,001.00 से 10,00,000.00 - 20 प्रतिशत
रु. 10,00,0001.00 से लेकर आगे - 30 प्रतिशत (२) वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से 80 तक की आयु वाले पुरुष तथा स्त्री आयकरदाता किसी भी आयु की स्त्री आयकर दाता) रु. 3,00,000.00 तक
कुछ नहीं रु. 3,00,001.00 से 5,00,000.00 तक
10 प्रतिशत रु. 5,00,001.00 से 10,00,000.00 तक 20 प्रतिशत रु. 10,00,0001 से लेकर आगे
30 प्रतिशत (३) अन्य व्यक्ति/ हिन्दु संयुक्त परिवार
रु. 2,50,000.00 तक रु. 2,50,001.00 से 5,00,000.00 तक
10 प्रतिशत
कुछ नहीं
कुछ नहीं