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________________ अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 स्वामी कार्तिकेय ने प्रोषधोपवास के अग्रिम दिवस, श्री जिनसेनाचार्य ने ब्राह्मण सृष्टि के बाद तथा श्री अमृतचन्द्राचार्य ने प्रभावना अंग के अंतर्गत जिनपूजा का उल्लेख किया है, किन्तु कोई पूजन विधि नही बतलायी है। श्री सोमदेवसूरि ने यशस्तिलकचम्पूगत उपासकाध्ययन में पूजन के भेद तथा उसकी विधि का विस्तृत वर्णन सामायिक शिक्षाव्रत के अंतर्गत किया है। उनके अनुसार जिनेन्द्र देव की पूजा का उपदेश समय कहलाता है एवं पूजक के निर्दिष्ट कार्य सामायिक कहलाते हैं। उन्होंने देवपूजा के दो रूप बतलाये हैं- तदाकार और अतदाकार । पुष्पादि में जिनेन्द्र देव की स्थापना करके पूजन करना अतदाकार पूजा तथा जिनबिम्ब की पूजा तदाकार पूजा है। वे स्पष्टतया घोषित करते हैं कि अन्यमती प्रतिमाओं में जिनेन्द्र देव की स्थापना करके पूजा नहीं करना चाहिए।" चारित्रसार में भी चामुण्डराय ने प्रायः सोमदेवसूरि का ही अनुसरण किया है। 7 - श्रीमद् पद्मनन्दि आचार्य ने जिनदर्शन, जिनपूजा एवं जिनस्तुति को श्रावक के लिए अनिवार्य प्रतिपादित करते हुए लिखा है 'प्रपश्यन्ति जिनं भक्त्या पूजयन्ति स्तुवन्ति ये । ते च दृश्याश्च पूज्याश्च स्तुत्याश्च भुवनत्रये ॥ ये जिनेन्द्रं न पश्यन्ति पूजयन्ति स्तुवन्ति न । 8 निष्फलं जीवितं तेषां तेषां धिक् च गृहाश्रमम्॥१८ अर्थात् जो भव्य जिनेन्द्र भगवान् को भक्तिपूर्वक देखते हैं तथा उनकी पूजा-स्तुति करते हैं; वे भव्य जीव तीनों लोक में दर्शनीय तथा पूजा के योग्य होते हैं अर्थात् सर्वलोक उनको भक्ति से देखता है तथा उनकी पूजा-स्तुति करता है। जो मनुष्य जिनेन्द्र भगवान् को भक्ति से नहीं देखते हैं और न उनकी भक्तिपूर्वक पूजा-स्तुति ही करते हैं, उन मनुष्यों का जीवन संसार में निष्फल है तथा उनके गृहस्थाश्रम के लिए भी धिक्कार है। पश्चाद्वर्ती सभी आचार्यों एवं पण्डितों ने श्रावकाचारविषयक ग्रन्थों में देवपूजा का माहात्म्य स्वीकारते हुए स्वस्वानुकूल पद्धति से पूजा करने का विधान किया है। इन सब पर श्री सोमदेवसूरि का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। सर्वप्रथम पूजन का व्यवस्थित वर्णन श्री सोमदेव सूरिकृत यशस्तिलकचम्पू में ही उपलब्ध होता है। यद्यपि उनके पहले श्री जिनसेनाचार्य
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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