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________________ अनेकान्त 67/1, जनवरी-मार्च 2014 __ अर्थात् “विथियों के बीच में नौस्तूप थे जो कि पद्मराग मणिमय थे। एक सिद्ध भगवान की प्रतिमाओं से सुसज्जित थे, जिन्होंने अपनी कान्ति से सम्पूर्ण आकाश को व्याप्त कर रखा था। अतएव वे इन्द्र धनुषमय दृष्टव्य थी।" फलतः उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि जिन मूर्तियों की स्थापना का आधार साहित्यिक ग्रन्थों में जो वर्णित है उसी के अनुरूप जिन प्रतिमाओं को स्थापित करना आदर्शरूप है। ***** संदर्भ : १. घोष, ए०; जैनकला एवं स्थापत्य भाग-१ पृ.१७, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, १९७५ २. श्री विद्यामंदिस्वामी, पात्रकेसरी स्तोत्र, श्लोक सं. ३९ ३. धर्मसंग्रह श्रावकाचार, ४२,९ ४. श्री गोम्मटसार जीवतत्व प्रदीपिका टीका, पृ. २ ५. कॉक, आर०सी०, हैण्डबुक ऑव दि ऑकियोलॉजिकल एण्ड न्यूमेस्मेटिक्स सेक्सन ऑव श्री प्रताप सिंह म्यूजियम, पृ.७६, कलकत्ता, १९२३ ६. आदिपुराण, ८ जिनसेनकृत, सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जैन, ग्रन्थमाला, वाराणसी १९६३ ७. शाह, यू.पी. बिगिनिंग्स ऑव जैन आइक्नोग्राफी, पृ.२, संग्रहालय-पुरातत्व पत्रिका, अंक, ११-१२, जून-दिसम्बर, १९७३ ८. शाह, ए यूनिक जैन इमेज ऑव जीवन्त-स्वामी, जर्नल ऑव ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट ऑव बड़ौदा, अंक १, पृ. ७२-७९ ९. शाह, यू.पी. जीवन्त स्वामी, जैन सत्य प्रकाश वर्ष, अंक ५-६ पृ. १०४ १०. शाह, यू.पी. ए यूनीक जैन इमेज, ऑव जीवन्त स्वामी, जर्नल ऑव दि ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट ऑव बड़ौदा, खं. १, पृ.७९ ११. शाह, यू. पी., अंकोटा ब्रोन्जेज, पृ. २६-२८, फलक ९ए, बी १२ बम्बई, १९५९ १२. सरकार, डी.सी., सेलेक्ट इस्क्रिशंस, खं.१ पृ. २१३, कलकत्ता, १९६५ १३. तथैव, पृ. २१३-२२१ १४. तथैव, पृ. २१५, पाद टिप्पणी, ७ १५. स्मिथ, वी.ए., जैन स्तूप एण्ड अदर एण्टीक्वीटीज ऑव मथुरा, पृ.१३, इलाहाबाद, १९०१ १६. राज्य संग्रहालय लखनऊ, जे. २० १७. जिनयज्ञकल्प, १०, जैन, कामता प्रसाद, जैन-मूर्तियाँ, जैन-विज्ञान भास्कर, भाग-२, पृ. ७-१४, वि.सं. १९९२ १८. प्रवचन परीक्षा, ११, जैन, कामता प्रसाद, तथैव १९. वाराहमिहिर संहिता, ४५, ५८, सं. ए. झा, वाराणसी, १९५९ २०. 'द्विभुज च द्विनेत्र च मुण्डतारं च शीर्षकम" मानसार, ७२, ख०३, अनु० प्रसन्न कुमार आचार्य, इलाहाबाद
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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