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________________ अनेकान्त 67/1, जनवरी-मार्च 2014 जैन चिन्तन में जीव के दो प्रकार माने गये हैं- बद्ध और मुक्त। बद्ध के दो भेद हैं- स्थावर और त्रस (चल)। स्थावर जीवों में पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि तथा वनस्पति आदि आते हैं- इनकी एक ही ज्ञानेन्द्रिय-स्पर्शेन्द्रिय होती है। त्रस-गतिशील जीवों को कहते हैं। ये निरन्तर भटकते रहते हैं तथा विभिन्न प्रकार के होते हैं। भिन्न-भिन्न कोटि के जीवों में चैतन्य की मात्रा भी भिन्न-भिन्न अर्थात् कम विकसित या अधिक विकसित होती है। सर्वाधिक विकसित चेतना मुक्त जीवों में तथा सबसे कम स्थावरों में पाई जाती है। बन्ध तत्त्व : सभी भारतीय दर्शनों की भाँति जैन दर्शन में जन्म ग्रहण करने तथा संसार के दुःखभोग को जीवन का बन्धन माना गया है तथा साथ ही बन्धन विषयक उनके विचारों में कुछ विशिष्टता भी है। जीव में अनन्त चतुष्टय अर्थात् अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त शक्ति और अनन्त आनन्द की पूर्णता-गुणरूप स्वीकार की गई है। परन्तु बन्धन की अवस्था में ये सारी पूर्णताएँ ढकी रहती हैं। जीव के शरीर का निर्माण पुद्गल कणों से हुआ है। अतः जीव का पुद्गल से संयोग होता है यही बन्धन है। अज्ञान से अभिभूत रहने के कारण जीव में वासनाएँ निवास करने लगती है। ये चार हैं- क्रोध, मान, लोभ और माया। इन्हीं को कषाय भी कहा जाता है क्योंकि इन्हीं वासनाओं या कुप्रवृत्तियों के वशीभूत होकर जीव शरीर के लिये लालायित रहता है। जैन सिद्धान्त में मनुष्य में उसके अपने कर्मों के उत्तरदायित्व तथा पुरुषार्थ द्वारा अपनी परिस्थितियों को बदल देने की शक्ति है। कर्म-प्रवृत्तियाँ : (१) ज्ञानावरण कर्म-बन्धे हुये कर्मों में उत्पन्न होने वाली प्रकृतियाँ दो प्रकार की है। मूल और उत्तर। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, अन्तराय, वेदनीय, आयु, नाम और गोत्र- ये अष्ट मूल प्रकृतियाँ होती हैं। इनकी भी पृथक्-पृथक् भेदरूप विभिन्न उत्तर प्रकृतियाँ बतलायी गयी है। ज्ञानावरणीय कर्म आत्मा के ज्ञान गुण पर ऐसा आवरण उत्पन्न करता है जिसके कारण संसारावस्था में उसका पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। इसकी उत्तरप्रकृतियाँ- मतिज्ञान, श्रृतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्याय एवं केवल ज्ञान
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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