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________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 तथा मोह रहित अल्प ज्ञान से मोक्ष होता है, को सिद्ध करके कथञ्चित् अज्ञान से बंध और कथञ्चित् अल्पज्ञान से मुक्ति होती है, को प्रतिष्ठित किया है। पुनश्च दो कारिकाओं में जीवों के संसार को सहेतुक पुरस्कृत कर दिया है। फिर दो कारिकाओं में प्रमाण और प्रमाणफल का उल्लेख है। तदन्तर ११ कारिकाओं में स्याद्वाद की सारगर्भित मीमांसा द्रष्टव्य है। अंतिम कारिका में आप्त मीमांसा करने का उद्देश्य सूचित किया गया है। समन्तभद्र पूर्व एवं उत्तर पक्ष प्रस्तुत करने की चिंता किये विना सारगर्भित कथन से अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं। निम्न कारिकाओं में उनकी प्रतिभा को इस प्रकार देखा जा सकता है - "अनाज्ञाच्चेद् ध्रुवो बन्धो ज्ञेयाऽनन्त्यान्न केवली। ज्ञानस्तोकाद्विमोक्षश्चेदज्ञानाद्वहुतोऽन्यथा।।" विरोधान्नोभयैकात्म्यं स्याद्वादन्यायविद्विषाम्। अवाच्यतैकान्तेऽप्युक्तिर्नाऽवाच्यमिति युच्यते।। अज्ञानान्मोहिनो बंधो नाऽज्ञानाद्वीतमोहतः। ज्ञानस्तोकाच्च मोक्षःज्स्यादमोहान्मोहिनोऽन्यथा।। यहाँ स्पष्ट प्रतिपत्ति होती है कि यदि अज्ञान से निश्चित ही बंध होता है- यह मान लिया जाये तो संसार में प्राणियों के अज्ञान होने के कारण बंध होता ही रहेगा क्योंकि विद्यमान अनंत ज्ञेय पदार्थों को न जान पाने से जीव का अज्ञान जीव को बंध कराता रहेगा और वह कभी केवली (केवलज्ञानी, सर्वज्ञ) नहीं हो सकेगा। इसका समाधान करने के लिये कोई कहे कि अल्पज्ञान से भी मोक्ष होता है। तो समन्तभद्र कहते हैं कि अल्पज्ञान से यदि मोक्ष होता है तो बहुत अज्ञान से बहुत बंध भी होना चाहिये अन्यथा कोई नियम नहीं रहेगा। अज्ञान से नियमतः बन्ध होता है तथा अल्प ज्ञान से मोक्ष होता है, इन दोनों में परस्पर विरोध है क्योंकि जिसके अल्पज्ञान है उसके अज्ञान बहुत होगा ही फिर बहुत अज्ञान से बन्ध होता ही रहेगा। अतः अल्पज्ञान वाले के बन्धाभाव स्वरूप मोक्ष कैसे संभव है? अतः सर्वविध अज्ञान से बंध और अल्पज्ञान से मोक्ष होता है, यह उभयैकान्त भी सही नहीं माना जा सकता है। जो अज्ञान है वह सर्वथा बन्ध को हेतु नहीं है किन्तु मोही के मोह
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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