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________________ 35 अनेकान्त 67/1, जनवरी-मार्च 2014 अर्थात् सल्लेखना की विधि के साथ समाधिमरण के उद्योग की विधि कही जाती है- समाधिमरण के लिए यत्नशील साधक को उपवास आदि के द्वारा शरीर को और श्रुतज्ञान रूपी अमृत के द्वारा कषाय को सम्यक् रूप से कृश करके अर्थात् सल्लेखनापूर्वक जहाँ चतुर्विध संघ हो, वहाँ चला जाना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि पण्डित आशाधर जी सल्लेखना और समाधिमरण को समानार्थक नहीं मानते हैं। _ 'समाधिमरण' के लगभग अन्य समानार्थक प्रमुख पारिभाषिकों के रूप में प्रशस्तमरण' और 'पण्डितमरण' का प्रयोग 'भगवती आराधना' में आचार्य शिवार्य ने किया है तथा सल्लेखना के अवांतर प्रमुख भेदों के रूप में ‘बाह्य सल्लेखना', 'आभ्यंतर सल्लेखना' को माना है व 'भक्तप्रतिज्ञा' या 'भक्तप्रत्याख्यान', 'इंगिनीमरण' और 'पादोपगमन या प्रायोपगमन मरण' 'प्रशस्तमरण' या 'पण्डितमरण' के भेद हैं एवं 'भक्तप्रतिज्ञा' या 'भक्तप्रत्याख्यान' के 'सविचार' व 'अविचार' नामक दो भेद कहे गए हैं। यद्यपि सम्पूर्ण 'भगवती आराधना' ग्रंथ में इन सभी पारिभाषिकों के स्वरूप, अनुपालन व उनकी अवधारणा प्रक्रिया पर ही विशद रूप में चर्चा हुई है। 'सल्लेखना' और 'समाधिमरण' इन दोनों पारिभाषिकों के स्वरूप पर विचार करें, तो यह बात भी उभर कर आती है कि 'सल्लेखना' में सम्यक् रूप से काया और कषायों को कृश करने अर्थात् कम करने की बात है, जबकि समाधिपूर्वक होने वाली मृत्यु का नाम 'समाधिमरण' है और इसीलिए आचार्य पूज्यपाद ने 'तत्त्वार्थसूत्र' की अपनी ‘सर्वार्थसिद्धि' टीका में सल्लेखना' को परिभाषित करते हुए लिखा है कि 'सम्यक्कायकषायलेखना सल्लेखना।' इससे स्पष्ट है कि सल्लेखना में एक ओर समुचित रूप से काया को कृश करने की बात है, तो वहीं दूसरी ओर कषायों को कम करने की। इसी कषायों को कम करने की प्रक्रिया को समाहित करने वाली सल्लेखना को भीतरी अर्थात् आभ्यंतर सल्लेखना और समुचित रूप से काया को को को कृश करने वाली को बाह्य सल्लेखना के रूप में निम्नांकित गाथा को उद्धृत करते हुए ‘भगवती आराधना' में व्याख्यापित किया है आचार्य शिवार्य ने - सल्लेहणा य दुविहा अब्भंतरिया य बाहिरा चेव।
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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