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________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 सिद्धान्त अर्थहीन हो जाएगा यदि यह सिद्धांत सदैव लागू न होता हो। मिसाल के तौर पर, यदि यह माना जाए कि कर्म सिद्धांत केवल शनिवार, रविवार, सोमवार और मंगलवार को लागू होता है और शेष दिन, यानी बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार, को नहीं, तो मनुष्य शनिवार, रविवार, सोमवार और मंगलवार को अच्छी क्रिया करके और बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को बुरी क्रिया करके कर्म सिद्धांत को निरर्थक बना देगा। सर्वत्र और सदैव लागू होने वाले सिद्धांत को यूनिवर्सन (सार्विक) सिद्धांत कहते हैं, इसलिए कर्म सिद्धांत एक यूनिवर्सल सिद्धांत है। यदि कर्म सिद्धांत यूनिवर्सल है, तो कर्म सिद्धांत द्वारा नियंत्रित क्रिया के फल भी यूनिवर्सल होने चाहिए। अर्थात्, कर्म सिद्धांत द्वारा नियंत्रित क्रिया के फल केवल क्रिया पर निर्भर होना चाहिए, क्रिया के समय और स्थान पर नहीं। चाहे विवक्षित क्रिया भारत, या अमरीका, या लोक में कहीं पर भी किया जाए, उस विवक्षित क्रिया के कर्म सिद्धांत द्वारा नियंत्रित फल अभिन्न होते हैं। उसी प्रकार चाहे विवक्षित क्रिया फल की गई थी, या आज की गई है, या भविष्य में की जाएगी, उस विवक्षित क्रिया के कर्म सिद्धान्त द्वारा नियंत्रित फल भी अभिन्न होते हैं। दूसरे शब्दों में कर्म सिद्धांत द्वारा नियंत्रित क्रिया के फल यूनिवर्सल होते हैं। क्रियाफल : हम यहाँ पर दो प्रकार के फल पर विचार करेंगे; एक प्रकार के फल जो यूनिवर्सल हैं उनको अदृष्ट फल से संबोधित किया गया है; और दूसरे प्रकार के फल जो यूनिवर्सल नहीं है उनको दृष्ट फल से संबोधित किया गया है। केवल अदृष्ट फल ही, जो यूनिवर्सल हैं, कर्म सिद्धान्त द्वारा नियंत्रित होते हैं। क्योंकि कर्म सिद्धान्त एक यूनिवर्सल सिद्धांत हैं, प्रत्येक क्रिया के यूनिवर्सल फल, यानी अदृष्ट फल, अवश्य होते हैं। परन्तु प्रत्येक क्रिया के दृष्ट फल का होना आवश्यक नहीं है। दृष्ट और अदृष्ट फल को उदाहरणों द्वारा समझा जा सकता है। एक व्यक्ति एक कारखाने में नौकरी करता है और नौकरी के बदले में वेतन पाता है। वह उस वेतन से भोग-सामग्री अर्जित करता है। नौकरी करना एक प्रकार की क्रिया है और वेतन पाना इस क्रिया का फल है। दूसरा व्यक्ति चोरी करता है और चोरी के बदले कारागार की सजा पाता है। चोरी
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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