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________________ अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 अर्थात् आत्मा न तो कभी मरता है। इसकी कोई आकृति नही है, यह अमूर्तिक है। यह व्यवहार नय की अपेक्षा कर्मों का कर्ता है तथा निश्चय नय की अपेक्षा अपने स्वभाव का कर्ता है। यह व्यवहार नय की अपेक्षा सुख-दु:ख का भोक्ता है तथा निश्चय नय की अपेक्षा अपने स्वभाव का भोक्ता है। व्यवहार नय की अपेक्षा यह आत्मा इन्द्रियजन्य सुखों से सुखी है तो निश्चय नय की अपेक्षा परमानन्दमयी है। यह आत्मा ज्ञानरूप है। व्यवहार नय की अपेक्षा यह आत्मा देहमात्र या स्वदेहपरिमाणी है तथा निश्चय नय की अपेक्षा यह चेतनामात्र है। यह आत्मा कर्ममल से मुक्त होकर ऊपर जाकर लोकाग्र पर अचल स्थित हो जाता है। यह आत्मा स्वयं प्रभु है, इसका कोई अन्य स्वामी नहीं है। इस श्लोक में आत्मा को अजात, अनश्वर, अमूर्त, कर्ता, भोक्ता, सुखी, ज्ञानी, देहप्रमाण, निर्मल होने पर लोकाग्र में स्थित अचल तथा प्रभु कहा गया है। इन विशेषताओं के कथन से किसी न किसी अन्य दार्शनिक या अन्य मतालम्बियों के एकान्त मतों का निरसन करना ग्रन्थकार को अभीष्ट है। कुमारकवि ने आत्मप्रबोध में आत्मा के स्वरूप का जो विवेचन किया है, उस पर आत्मानुशासन का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। यथा - 'नित्यो निरत्ययगुणः परिणामधाम, बुद्धो बुधैर्दृगवबोधमयोपयोगः। आत्मा वपुःप्रमितिरात्मपरप्रमाता, कर्ता स्वतोऽनुभविताऽयमनन्तसौख्यः॥ अर्थात् यह आत्मा नित्य, अविनाशी गुणों वाला, परिणामी, दर्शन एवं ज्ञानोपयोगी, स्वशरीरपरिमाणी, कर्ता, स्वयं भोक्ता, अनन्त सुखी है। आत्मानुशासन में श्रीगुणभद्राचार्य द्वारा वर्णित आत्मा के विविध विशेषणों का निहितार्थ महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक विशेषण के निहितार्थ को इस प्रकार देखा जा सकता है। १. अजात - अनात्मवादी चार्वाक दार्शनिकों का कहना है कि आत्मा का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - इन पञ्चभूतों के योग्य संयोग से उत्पन्न हुई शक्ति मात्र को जीव कहते हैं, अतः जीव उत्पन्न होता है। वे कहते हैं कि जैसे मधूक, गुड, जल आदि में मद्य शक्ति दृष्टिगोचर नहीं होती है, किन्तु जब वे पारस्परिक समीचीन
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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