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________________ अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 व रुक्ष गुण के कारण बन्ध रूप होती है।५३ इस प्रकार पर्याय के विविध भेद हैं, उनका विस्तृत विचार नियम स्वर, अलापपद्धति आदि ग्रन्थों में किया गया है। व्यञ्जनपर्याय भी स्वभावरूप अवस्था सिद्धावस्था ही है। प्रकृत में केवल जैनदर्शन के परिप्रेक्ष्य द्रव्य गुण, पर्याय की मीमांसा की गई है अन्य दर्शनों में द्रव्य-गुण की विस्तृत विवेचना है किन्तु आलेख विस्तार भय से अनुपयुक्त समझकर विवेचना से दूर रहे हैं। संदर्भ: १. तत्त्वार्थसूत्र, ५/३० २.पञ्चास्तिकाय,८ ३. नय चक्र गाथा, ३६ ४. प्रवचनगाथा १०० ५. वही, १०१ ६. पञ्चास्तिकाय गाथा ९ की टीका ७. सद्व्य लक्षणम्, तत्त्वार्थसूत्र ५/२९ ८. पञ्चास्तिकाय गाथा १० ९. तत्त्वार्थवार्तिक गाथा ९ १०. आप्तमीमांसा कारिका, ५९ ११. सन्मति सूत्र, ३/४१-४२ १२. सन्मति सूत्र, ३/३३-३४ १३. नयचक्र गाथा, ३६ १४. तत्त्वार्थसूत्र, ५/३८ १५. नियमसार,९ १६. ज्ञानसुखादयः स्वजातौ साधारणा अपि विजातोपुनरसाधारणाः। १७. तत्त्वार्थवार्तिक,६ १८.निष्क्रिमाणि सूत्र, ५/७ १९. तत्त्वार्थसूत्र,, ५/३९ २०. सर्वार्थसिद्धि पृष्ठ-६०० २१. आलापपद्धति,९३ २२. तत्त्वार्थसार, ३/१० २३. प्रवचनसार तात्पयवृत्ति गाथा १३० की टीका २४. न्यायदीपिका ३/७८ २५. मूलाचार प्रदीप ४९ २६. वृहद् नयचक्र गाथा ११, २७. अध्यात्मकमल मार्तण्ड २/७८ २८. आलापपद्धति-९ २९. वृहद्नयचक्र गाथा १५ २३. अस्थि सहावो सत्ता। वृहद्नय चक्र गाथा ६१ ३१. स्याद्वाद मञ्जरी पृ.३० ३२. आलापपद्धति ३३. पञ्चास्तिकाय गाथा ९ ३४. नयदर्पण पृ. ५६३ ३५. आलाप पद्धति पृ.८६ ३६. आलापपद्धति पृ. ९१ ३७. तत्त्वार्थसूत्र, ५/८-१० ३८. जैन चिंतन शिक्षण पृष्ठ ९७, दव्यानुयोग प्रवेशिका पृ.१८-२२ ३९. जैन सिद्धान्त प्रवेशिका, पृ.३० ४०. पञ्चाध्यायी श्लोक १६५ ४१. धवल ९/१७० ४२. पं. मु. ४१८ ४३, आलाप पद्धति श्लोक-२, पृ. ४२ ४ ४. नयचक्र गाथा १७ ४५. पञ्चास्तिकाय गा.१६ की टीका ४६. नयचक्र- २२ (प्राकृत) ४७. पञ्चास्तिकाय गाथा १६ की टीका ४८. वसु. श्रावकाचार, २५ ४९. वृहद्नयचक्र गाथा २६ ५ ०. दव्यानुयोग प्रवेशिका, पृष्ठ २३ ५१. जैन सिद्धान्त प्रवेशिका पृष्ठ-३६ ५२. आलापपद्धति १७ ५३. नयचक्र १८-१९ ५४. आलापपद्धति, १९-१२३ - अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दि.जैन कॉलिज, बड़ौत -२५०६११ (उत्तरप्रदेश)
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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