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________________ अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 रक्षा का संकल्प लेकर रक्षासूत्र बांधा न कि मुनिराजों को रक्षासूत्र बांधकर अपनी रक्षा की कामना की थी। आज हम अन्य धर्मों की क्रियाओं का अनुसरण कर भगवान की वेदी, चैनल, मुनि महाराज, आर्यिका माताजी, क्षुल्लक जी की पिच्छी में रक्षासूत्र बांधते हैं कि हे भगवान्, महाराज जी, माताजी, क्षुल्लक जी आप हमारी रक्षा कीजिए। यह अन्य कर्तावादी दर्शनों का प्रभाव है। वे अपने ईश्वर को कर्ता मानते हैं और और उनसे रक्षा करने की कामना करते हैं जबकि जैनदर्शन अकर्तावादी सिद्धान्त का पक्षधर है। दीपावली को प्रातः महावीर भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया जाता है और शाम को गौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति के उपलक्ष्य में दीपक जलाये जाते हैं। इसमें भी अन्य धर्मों की परम्परा का अनुकरण कर हम लक्ष्मी पूजा, धन की पूजा, गणेश सरस्वती आदि की पूजा रात्रि में करने लगे हैं। इसमें केवलज्ञानलक्ष्मी की पूजा का प्रसंग था सो हम केवलज्ञान को भूल गये मात्र धनलक्ष्मी की पूजा में संलग्न हो गये। वर्तमान में हरियाली तीज जैसे धर्मों के त्यौहारों को प्रमुखता से मनाने लगे हैं। जबकि जैनदर्शन के अनेक त्यौहारों को विस्मरण करने लगे हैं। माता के जागरण की तरह पद्मावती का जागरण, ईस्वी के नववर्ष तक उत्सव मनाते हैं। जबकि जैनों का नववर्ष वीरशासन या वीर निर्वाण को भूलते जा रहे कालसर्प, नवग्रह, ग्रह शान्ति आदि में विसंगतियाँ : ___ज्योतिष विज्ञान एवं कर्म सिद्धान्त से किसी भी प्रकार से कालसर्पयोग मंत्रों के आराधन, पूजन विधान से छूट नहीं सकता न ही अशुभ कर्म के बिना वह अशुभ फल दे सकता है। जन्म के समय जो ग्रह जहाँ स्थित थे वे हमेशा उसी स्थान पर रहते हैं। कोई परिवर्तन संभव नही है। अशुभ कर्म के उदय में वे ग्रह आदि मात्र बाह्य निमित्त बनते हैं। किन्तु आज कालसर्पयोग, अशुभ ग्रहशांति के नाम पर बड़ी बड़ी पूजायें कराई जा रही हैं। नवीन नवीन कल्पित विधियाँ की जा रही हैं। पूजा विधान शुभ भाव के कर्ता होते हैं। अशुभ कर्म की स्थिति अनुभाग को कम कर देते हैं। लेकिन उसमें अर्हत की आराधना सम्यक् प्रकार से होना चाहिये किन्तु नीले धोती दुपट्टे नीली साड़ी पहिनकर कालसर्प निवारण की पूजायें की जा रही हैं उतारा किया जा रहा है जो जैन धर्म
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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