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________________ 34 १०. ध्वजदण्ड की ऊँचाई प्रमाणानुसार न होना। ११. कटी हुई ध्वजा लगाना। १२. मूलनायक को अचल न करना। सिद्धचक्र इन्द्रध्वज, कल्पद्रुम आदि विधानों में विसंगतियाँ : १. इन्द्रध्वज विधान में ध्वजाओं पर चिन्ह न बनाना । २. मंदिर स्थापित करवाना। अकृत्रिम जिनालय नहीं, ध्वजा स्थापित करना चाहिये। अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 ३. बिना मूर्तियों का मेरु स्थापित कराना । ४. कल्पद्रुम विधान में समवशरण सीढीनुमा बनाना । ५. चक्रवर्ती चार बनाना / सौधर्म इन्द्र चार बनाना । ६. समवशरण में तीर्थकर के पुण्य की पूजा करना । व्रताराधन, उद्यापन विधि में विसंगतियाँ : १. व्रत पालन में शिथिलता का होना / देखा देखी व्रत करना । २. व्रत स्वरूप, उद्देश्य एवं विधि का सम्यक् ज्ञान न होना । ३. व्रत विधि में संशोधन कर पालन करना जैसे उपवास की जगह एकाशन करना। शाम को दूध पानी मेवा आदि लेना। रस परित्याग न करना । ४. व्रत के दिन चाय दूध आदि लेना । ५. तिथि को आगे पीछे कर व्रत करना । ६. व्रत उद्यापन में प्रमाद करना । ७. संक्षेप में पूजन कर लेना या उद्यापन के नाम पर गुप्तदान में पैसे डाल देना। ८. व्रत पूर्ण होने से पहले ही उद्यापन कर देना । ९. व्रत पूर्ण होने के बहुत दिन तक उद्यापन न करना । १० अपने मन से कैसा भी उद्यापन कर लेना । गृहारम्भ, गृहप्रवेश एवं शान्तिकर्म में विसंगतियाँ : १. गृह निर्माण के पूर्व शिलान्यास आदि की क्रिया बिना मुहूर्त के अपनी सुविधानुसार कराना । २. अन्यमत वाले विद्वान से क्रिया कराना । ३. गृहप्रवेश में अपनी सुविधा का ध्यान रखना, मुहूर्त की अवहेलना करना । ४. भोजन आदि कराने मात्र से गृह शुद्धि मान लेना।
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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