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१०. ध्वजदण्ड की ऊँचाई प्रमाणानुसार न होना। ११. कटी हुई ध्वजा लगाना। १२. मूलनायक को अचल न करना। सिद्धचक्र इन्द्रध्वज, कल्पद्रुम आदि विधानों में विसंगतियाँ :
१. इन्द्रध्वज विधान में ध्वजाओं पर चिन्ह न बनाना ।
२. मंदिर स्थापित करवाना। अकृत्रिम जिनालय नहीं, ध्वजा स्थापित करना चाहिये।
अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014
३. बिना मूर्तियों का मेरु स्थापित कराना ।
४. कल्पद्रुम विधान में समवशरण सीढीनुमा बनाना ।
५. चक्रवर्ती चार बनाना / सौधर्म इन्द्र चार बनाना ।
६. समवशरण में तीर्थकर के पुण्य की पूजा करना ।
व्रताराधन, उद्यापन विधि में विसंगतियाँ :
१. व्रत पालन में शिथिलता का होना / देखा देखी व्रत करना ।
२. व्रत स्वरूप, उद्देश्य एवं विधि का सम्यक् ज्ञान न होना ।
३. व्रत विधि में संशोधन कर पालन करना जैसे उपवास की जगह एकाशन
करना। शाम को दूध पानी मेवा आदि लेना। रस परित्याग न करना ।
४. व्रत के दिन चाय दूध आदि लेना ।
५. तिथि को आगे पीछे कर व्रत करना ।
६. व्रत उद्यापन में प्रमाद करना ।
७. संक्षेप में पूजन कर लेना या उद्यापन के नाम पर गुप्तदान में पैसे डाल देना।
८. व्रत पूर्ण होने से पहले ही उद्यापन कर देना ।
९. व्रत पूर्ण होने के बहुत दिन तक उद्यापन न करना ।
१० अपने मन से कैसा भी उद्यापन कर लेना ।
गृहारम्भ, गृहप्रवेश एवं शान्तिकर्म में विसंगतियाँ :
१. गृह निर्माण के पूर्व शिलान्यास आदि की क्रिया बिना मुहूर्त के अपनी
सुविधानुसार कराना ।
२. अन्यमत वाले विद्वान से क्रिया कराना ।
३. गृहप्रवेश में अपनी सुविधा का ध्यान रखना, मुहूर्त की अवहेलना करना ।
४. भोजन आदि कराने मात्र से गृह शुद्धि मान लेना।