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________________ अनेकान्त 67/2, अप्रैल-जून 2014 79 संदर्भ : १. सर्वन्तवत्तदुणमुख्यकल्पं सर्वान्तशून्यं च मिघोऽनपैक्षम्। सर्वापदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव।। (युक्त्यनुशासनम्-६१) २. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा भाग २ पृष्ठ १८३ (अखिल भारतीय दिग. जैन विद्वत्परिषद्) ३. समन्तभद्रो भद्राथों भातु भारतभूषणः (पाण्डवपुराण) आप्तमीमांसा की तत्वदीपिका प्रस्तावना पृष्ठ २६ (श्री गणेशवर्णी दिग. संस्थान १९७४) से उद्धृत। ४. तीर्थमहावीर और उनकी आचार्य परम्परा भाग-२, पृष्ठ १८४ ५. इत्याप्तमीमांसलड्कृतौर प्रथमपरिच्छेदः । - अष्टसहस्री पृष्ठ १३३ ६. आप्तमीमांसा की तत्त्वदीपिका पृष्ठ ३६ से उद्धृत। ७. अष्टसहस्री पृष्ठ १३४ ८. सर्वार्थसिद्धि टीका पृष्ठ १ ९. देवागमनभोयान चामरादिविभूतयः मायाविष्वपि दृश्यन्ते नातस्त्वमपि नो महान्। अध्यात्मं बहिरप्येष विग्रहादि महोदयदिव्यसत्यः दिवौकस्स्प्यस्ति रागदिमत्सु सः।। १०. आप्तमीमांसा श्लोक ३ ११. आत्तमीमांसा, श्लोक ४ १२. अष्टसहस्री में उद्धृत पृ. ३ १३. आप्तमीमांसा ५-६ १४. तदेव ७ १५. तदेव ८ १६. तदेव ९-११ १७. तदेव १२ १८. तदेव १३ १९. तदेव १३ २०. तदेव १४-१६ २१. तदेव १७-१८ २२. तदेव १९ २३. तदेव २० २४. तदेव २१ २५. तदेव २२ २६. तदेव २३ २७. तदेव २४-२७ २८. तदेव २८ २९. तदेव २९ ३०. तदेव ३० ३१. तदेव ३१ ३२. तदेव ३२ ३३. तदेव ३३ ३४. तदेव ३४ ३५. तदेव ३५ ३६ तदेव ३६ ३७. तदेव ३७ ३८. तदेव ३८-४० ३९. तदेव ४१ ४०. तदेव ४२ ४१. तदेव ४३-४५ ४२. तदेव ४७ ४३. तदेव ४८ ४४. तदेव ५४ ४५. तदेव ५५ ४६. तदेव ५६ ४७. तदेव ५७ ४८. तदेव ५८ ४९. तदेव ५९-६० ५०. तदेव ६१ ५१. तदेव ५६२ ५२. तदेव ६३ - राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, त्रिवेणी नगर, मानसरोवर , जयपुर (राजस्थान) क्रमशः अगले अंक में....
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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