SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 335
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013 फ्रांस में सुरक्षित जैन साहित्यः इतिहासकारों के सर्वेक्षणों के अनसार फ्रांस में लगभग एक हजार विशाल ग्रन्थालय हैं, जिनमें से पेरिस के अकेले ही एक विविलियोथिक नामके ग्रन्थागार में ४० लाख ग्रन्थ हैं और जिनमें से बारह सहस्र ग्रन्थ संस्कृत एवं प्राकृत-भाषा के हैं, जो भारत से ले जाए गए होंगे। ___ सन् १९६५ के आसपास मैंने (प्रो. राजाराम जैन ने) एक लेख में लिखा था कि मुझे महाकवि रइधू कृत अपभ्रंश-भाषा की सिरिसिरिवाल-चरिउ की पाण्डुलिपि नहीं मिल रही है।अतः मेरे शोध-कार्य में कुछ गतिरोध आ रहा है। संयोग से उस लेख को पेरिस (फ्रांस) की एक संवेदनशील-विदुषी महिला प्रो. नलिनी बलवीर जी ने पढ़ा।उसे उन्होंने पेरिस के एक शास्त्र-भण्डार में खोजा तो वह वहाँ सुरक्षित थी।उन्होंने तत्काल ही उसकी फोटो-कराकर मुझे भिजवा दी थी।तात्पर्य यह है कि फ्रांस के अनेक शास्त्र-भण्डारों में जैन-पाण्डुलिपियाँ सुरक्षित हैं। उक्त प्रो. नलिनी बलवीर जी ने भी कुछ जैन-पाण्डुलिपियों पर शोध कार्य किया है तथा एक स्वतंत्रशोध-निबन्ध भी लिखा था जिसमें पेरिस (फ्रांस) में सुरक्षित कुछ विशिष्ट जैन पाण्डुलिपियों की चर्चा की गई है। संदर्भ सूचीः 1. An eminent archaeoligist says that if we draw with a radius of ten (10) miles having any spot in India as the centre we are sure to find some Jain remains within that circle. - Vide kannad monthly Vivekabhyudaya P.96(1940) दे. जैन-शासन (दिवाकर) पृ. २९८ से साभार। 2. दे.Encyclopaedia of world Religions - Vol-VIIP.450-470 तथा विदेशों में जैनधर्म (डॉ. गोकुलप्रसाद जैन) से साभार। 3. Ancient India P.70 4. AL. P.71 5. The Life of Buddha (1927) 2.74, 115 6. Science of comparative Religions (1897)P.28,40 7. Berniar's Travels in the Mughal Empire P. 317 8. वीर (शोध पत्रिका) वर्ष ७, पृ. १७७ 9. .......while East India was certainly the fruitful centre of religion from 7th Century B.C. yet Trans-Himalaya, Oxiana, Bactria and
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy