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________________ ור अनेकान्त 66/4 अक्टूबर-दिसम्बर 2013 अज्ञात जैन कवि कृतः सुभाषितार्णव (१००० श्लोक प्रमाण) निधि-शास्त्र-भण्डार में सुरक्षित : भारतीय-नाटकों से संबन्धित २० पाण्डुलिपियाँ, जिनमें से एक - नयविजय कृत जैन -काव्य -“चित्रसेन- पद्मावती चरित्त” की पाण्डुलिपि सुरक्षित है, जो 'सुन्दरी - पद्मावती' की विख्यात कथा का जैन रूपांतरण है। इस रचना में ५३६ श्लोक हैं। 92 गोपीनाथ कृत-“कौतुक - सर्वस्व " - नामका एक नाटक भी है, जिसमें भृष्ट राजाओं पर तीखा व्यंग्य किया गया है। शर्व वर्म कृत तथा दुर्गसिंह की टीका सहित - "कातन्त्र-व्याकरण” की तीन प्रतियाँ। महाकवि गुणाढ्य कृत - पैशाची प्राकृत में लिखित अद्भुत कथा-ग्रन्थ“बड्ढकहा” अद्यावधि (अनुपलब्ध) । इस कथा - ग्रन्थ के कुछ अंशों का महाकवि क्षेमेन्द्र द्वारा लिखित संस्कृत - गद्य रूपान्तर की पाण्डुलिपि तथा बेलालपंच-विंशति की पाण्डुलिपि सुरक्षित है। चण्ड (प्राकृत-वैयाकरण) कृत - " प्राकृत - लक्षण" की नेपाली हस्तलिखित पाण्डुलिपि तथा - जैन- ज्योतिष एवं जैन सामुद्रिक शास्त्र सम्बन्धी १४० पाण्डुलिपियाँ, जिनमें से कुछ अत्यन्त मूल्यवान कही गई हैं, वहाँ सुरक्षित हैं। रूस के ही उक्त निधि - शास्त्र - भण्डार में सुरक्षित - आचारांग - सूत्र की एक पाण्डुलिपि तथा उसकी शीलांक कृत “आचार- टीका ” । कल्पसूत्र की दो प्रतियाँ, जिनमें से कल्पसूत्र की एक प्रति " कल्पलता " नामकी टीका तथा लक्ष्मीबल्लभ कृत “कल्पद्रुमकलिका-टीका” से युक्त है। जर्मनी में जैन - साहित्यः जैन - साहित्य के संग्रहण, संकलन, संरक्षण, शोध एवं समीक्षा की दृष्टि से जर्मनी की प्राच्य भारतीय विद्या-प्रेम अद्भुत माना गया है। डॉ. वी. राघवन् ने भारत सरकार के अनुरोध से विश्व में व्याप्त प्राच्य भारतीय पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण किया था और अपनी खोज के निष्कर्ष स्वरूप उन्होंने बतलाया था कि विदेशों 61 में लगभग ५० हजार पाण्डुलिपियाँ यत्र-तत्र सुरक्षित हैं, उनमें से ५० प्रतिशत पाण्डुलिपियाँ अकेले जर्मनी में सुरक्षित हैं। इस तथ्य से जर्मनी के विद्वानों की भारतीय पाण्डुलिपियों में समाहित अपूर्व ज्ञान-विज्ञान के भण्डार के उद्घाटन के प्रति जिज्ञासा स्पष्ट विदित होती है। ור
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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