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________________ IL अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013 ___अर्थात् कृष्ण लेश्या के उत्कृष्ट अंशों के साथ मरे हुए जीव सातवीं पृथ्वी के अवधिस्थान नामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं। जघन्य अंशों के साथ मरे हुए जीव पांचवी पृथ्वी के अन्तिम पटल के तिमिश्रनामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं। कृष्ण लेश्या के मध्यम अंशों के साथ मरे हुए जीव दोनों के (सातवीं और पांचवीं नरक पृथवी के) मध्य स्थानों में यथा सम्भव योग्यतानुसार उत्पन्न होते हैं। नीलुक्कस्ससमुदा पंचम अधिंदयम्मि अवरमुदा। बालुक संपज्जलिदे मज्झे मज्झेण जायंते।।१३ नीललेश्या के उत्कृष्ट अंशों के साथ मरे हुए जीव पाँचवीं, पृथ्वी के द्विचरम पटल सम्बन्धी अन्ध्रनामक इन्द्रकबिल में उत्पन्न होते हैं। कोई-कोई पाँचवें पटल में भी उत्पन्न होते हैं। इतना विशेष और भी है कि कृष्णलेश्या के जघन्य अंशवाले जीव भी मरकर पाँचवी पृथ्वी के अन्तिम पटल में उत्पन्न होते हैं। नीललेश्या के जघन्य अंश वाले जीव मरकर तीसरी पृथ्वी के अन्तिम पटल सम्बन्धी संप्रज्वलित नामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं।नीललेश्या केमध्यम अंशोवाले जीव मरकर तीसरी पृथ्वी के संप्रज्वलित नामक इन्द्रक बिल के आगे और पांचवी पृथ्वी के अन्ध्रनामक इन्द्रकबिल के पहले-पहले कितने पटल और इन्द्रक हैं इनमें यथायोग्य उत्पन्न होते हैं। वरकाओदं समुदा संजलिदं जांति तदियणिरयस्स। सीमंतं अवरमुदा मज्झे मज्झेण जायंते॥४ कापोतलेश्या के उत्कृष्ट अंशों के साथ मरे हुए जीव तीसरी पृथ्वी के नौ पटलों में से द्विचरम-आठवें पटल सम्बन्धी संज्वलित नामक इन्द्रकबिल में उत्पन्न होते हैं।कोई-कोई अन्तिम पटल सम्बन्धी संप्रज्वलित नामक इन्द्रकबिल में भी उत्पन्न होते हैं।कापोतलेश्या के जघन्य अंशों के साथ मरे हुए जीव प्रथम पृथ्वी के सीमन्त नामक इन्द्रकबिल से आगे तीसरी पृथ्वी के द्विचरम पटल सम्बन्धी संज्वलित नामक इन्द्रकबिल के पहले तीसरीपृथ्वी के सात पटल, दूसरी पृथ्वी के ग्यारह पटल और प्रथम पृथ्वी के बारह पटलों में या धम्माभूमि
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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